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है। अगर सीटी में या ढक्कन में कुछ खराबी आ जाए तो अत्यधिक दबाव के कारण कुकर ही फट जाता है। मनुष्य के मन में भरी चिंता और अवसाद कुकर में भरे हुए प्रेशर की तरह ही हैं। अगर आप प्रसन्नता की एक सीटी बजा देंगे, तो आप महसूस करेंगे कि भीतर का तनाव कम हो रहा है। धीरे-धीरे तनाव के ढक्कन को खोल दो और प्रसन्नता को भरते रहो।
अगर आप प्रसन्न रहते हैं तो आपका तनाव मिटता है। अगर आप रुग्ण हैं, आपके शरीर में कोई विकलांगता है तो स्वयं को हीन न समझें। मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला हूँ जिसका कंधे से नीचे का पूरा शरीर निष्क्रिय है, अंगूठे तक। उसे चाहे सूई चुभाओ या काट दो, उसे कुछ पता नहीं चलता है। मैं उसके पास पंद्रह मिनट तक रहा और मैंने अपने जीवन में उससे अधिक प्रसन्न रहने वाला आज तक किसी अन्य को नहीं पाया। हर पल हँसता, मुस्कुराता चेहरा। मैंने पाया कि वह अपने शरीर की विकलांगता पर विजय पाने में सफल हो गया है।
जो व्यक्ति अपने जीवन में अपने शरीर पर आने वाले विपरीत धर्म और बीमारियों में भी अपनी प्रसन्नता को बनाये रखता है वही अपने रोग को परास्त करने में सफल हो जाता है। आप भले ही गंभीर से गंभीर बीमारी से ग्रस्त हों लेकिन पचास प्रतिशत ही सही, प्रसन्नता की दवा आपके काम जरूर करेगी। अगर आप निराशा से घिर गये और आपकी उम्मीद का फूल कुम्हला गया है तो निश्चय ही आप रोग पर विजय प्राप्त करने में असफल रहेंगे। एक खुशी, नफे हज़ार
प्रसन्नता का दूसरा प्रभाव व्यक्ति की मानसिकता पर पड़ता है। प्रसन्न हृदय में सदा सकारात्मक विचार आते हैं और अप्रसन्न मन में नकारात्मक। अगर आप क्रोध करते हैं तो आपके चेहरे की छत्तीस नाड़ियाँ प्रभावित होती हैं और आपका चेहरा तमतमा उठता है जबकि एक पल की मुस्कान आपकी बत्तीस कोशिकाओं को जीवन प्रदान करती है। जब जहाँ, जिससे मिलो, मुस्कुराते हुए मिलो, यही तो एक बात है जो हमेशा हमारे हाथ में रहती है - मुस्कुराना। जो हमेशा प्रसन्न रहता है उसकी सोच भी सकारात्मक रहती है। प्रसन्नता का तीसरा परिणाम परिवार को मिलता है। जिस परिवार के
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