Book Title: Jain Vidya 02
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 6
________________ 13. जीवन की क्षणभंगुरता 14. महाकवि पुष्पदन्त का दार्शनिक ऊहापोह 15. महाकवि पुष्पदन्त के प्रादिपुराण की डॉ. कस्तुरचन्द कासलीवाल एक सचित्र पाण्डुलिपि 16. महाकवि पुष्पदन्त की रचनाओं की राजस्थान में लोकप्रियता 17. आणंदा 18. जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी 19. स्वयंभू विशेषांक : विद्वानों की दृष्टि में महाकवि पुष्पदन्त डॉ. भागचन्द जैन 'भास्कर' 20. साहित्य-समीक्षा 21. इस अंक के सहयोगी रचनाकार पं. अनूपचन्द 'न्यायतीचं' श्री महानंविवेव अनु. - डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री 90 91 97 101 107 129 135 141 143

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