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परोक्षरूप में अनुकरण किया। पाषाणों पर उत्कीर्ण मूर्तियाँ, बेल-बूटे आदि उन्हें इतने रुचिकर लगे कि उन्होंने वे नये निर्माणों में ज्यों के त्यों बनवा दिये । यहाँ तक कि अनेकानेक भारतीय निर्माणों को उन्होंने ऊपरी परिवर्तन करके अपने पूजास्थलों का रूप दे दिया। इसका विस्तृत विवरण वास्तुविद्या के विदेशी विद्वानों ने अनेकत्र दिया है | 13
(जैन वास्तु-विद्या