Book Title: Jain Vastu Vidya
Author(s): Gopilal Amar
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 79
________________ भारत के उत्तर में ही तो हिमालय स्थित है। कुमार-संभव' महाकाव्य के प्रथम श्लोक में महाकवि कालिदास ने लिखा है कि 'देवतात्मा पर्वतराज हिमालय इतना विस्तृत है कि एक ओर वह पूर्वी समुद्र को छूता है और दूसरी ओर पश्चिमी समुद्र को, तथा ऊँचा इतना है कि मानों मध्यलोक को नापने चला हो। पुरुषार्थी उद्योगपति और कर्मठ व्यवसायी ऐसे ही कीर्तिमान स्थापित करें, उत्तर दिशा से यह प्रेरणा मिलती है। आवास-गृह में कहाँ क्या बनाएं जाए आचार्य उमास्वामी के नाम से प्रसिद्ध श्रावकाचार (पद्य क्र. 112-113) में बताया गया है कि घर की किस दिशा में कौन-सा कक्ष होः पूर्व में श्रीगृह (ड्राइग रूम), आग्नेय में रसोई (किचन), दक्षिण में शयनकक्ष (बेडरूम), नैर्ऋत्य में शस्त्रास्त्र आदि उपकरण (स्टोर), पश्चिम में भोजनकक्षा, वायव्य में तिजोरी आदि कीमती सामान, उत्तर में जल (टंकी, वाटर कूलर आदि), ऐशान मे देवालय और इन सबके ठीक मध्य में मुक्ताकाश आँगन (कोर्टयाड) होना चाहिये। उत्तर शयनकक्ष, बच्चों का कमरा, भूमि की सतह नीची, ज्यादा खुली अधिक खुली जगह, सिंह-मार, प्राइगरूम, तिजोरी आदि कीमती जगह, पर्टिको, बाल्कनी, बरामदा, दया-वेल. कुओं, पेटिको बाल्कनी, सामान, गैरेज, गोशाला, सबैट्स तिजोरी, कीमती सामान, जल खुली छत, देवलय. अध्ययन-का, क्वार्टर तयार मान, छत पर पानी (टंकी) बटर कूलर, दरवाजे बेसमेंट। की टकी। खिड़कियों आदि। भूमि की सतह (प्रजा लेवल) नीषा भूमि की सतह पूर्व से अधिक खुली जगह अधिक ऊंची, सबसे कम गृह (सहगलम) द्वारों मुक्ताकाश खुली जगह, छत पर । | और खिड़कियों की संख्या अंगन पानी की टंकी, स्टोर । (कोर्टया) | अधिक, पोर्च, बरामदा, भोजनकक्ष, शौचालय, कच्चा माल। । बल्कनी, सिंहकार आदि। मुख्य शयनकम होचालय, ------- गैरेज, रसोई, खाच-सामग्री. जाना, कैशियर का स्थान, मशीन भूमि की सतह अधिक ऊँची, गुला जेनरेटर, मेन स्विच बिजली, शस्त्रास्त्रों और कच्चे माल का स्थान कम, की दीवार दो बलर, ट्रांसफार्मर मादि। स्टोर। मंज़िले, शयन-कवा स्टोर भारी मसीने व पेस आदि। पसिन जन वास्तु-विधा

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