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पत्रशाखा . प्रवेश-द्वार का वह पक्खा, जिसपर पत्राकन होता है। पद्म : कमलाकार गोटा या एक भाग; दक्षिण-भारतीय फलक
को आधार देने के लिए बनाया जानेवाला एक कमलाकार
शीर्ष-भाग। पद्मबंध . एक अल कृत पट्टी, जो दक्षिण भारतीय स्तंभ के
मध्य-भाग और शीर्ष-भाग के मध्य में होती है। पद्म-शिला : छत का अत्यलकृत कमलाकार लोलक। परिकर . मूर्ति के साथ की अन्य आकृतियाँ। पाश
. जाल या फंदा। पीठ . चौकी या पाद-पीठ। प्रतिरथ . भद्र और कर्ण के मध्य का प्रक्षेप। प्रदक्षिणा परिक्रमा। प्रदक्षिणा-पथ : परिक्रमा-पथ। प्रस्तार . दक्षिण भारतीय विमान का विस्तार। प्राकार . मंदिर को परिवृत करनेवाली भित्ति। प्राग-ग्रीवा . मुख-मण्डप का प्रक्षेप, अर्थात् अग्र-मण्डप । फलक . स्तभ का शीर्ष-भाग। फाँसना . भवन का आडे पीठो से बना वह ऊपरी भाग, जो पश्चिम
भारतीय स्थापत्य में प्रचलित है और जिसे उडीसा के
स्थापत्य मे 'पीढा-देउल' कहा जाता है। बलानक आवृत सोपानबद्ध प्रवेश-द्वार। बाँधना : जंघा को ऊपरी और निचले भागों में विभक्त करनेवाला
एक प्रक्षिप्त गोटा।
: गर्भगृह का मध्यवर्ती प्रक्षेप। भद्रपीठ
: गोटेदार पाद-पीठ का एक दक्षिण भारतीय प्रकार । भमती : मध्यकाल के जैन मंदिरो में द्रष्टव्य स्तंभो के मध्य का
मार्ग। भरणी
: स्तंभ-शीर्ष। मिट्ट : मंदिर का उप-अधिष्ठान। मकर-तोरण : प्रवेश-द्वार का अलंकरण या मकर-मुखो से निकलता
वंदनवार। जन बास्तु-विधा
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