Book Title: Jain Vastu Vidya
Author(s): Gopilal Amar
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 101
________________ कोई जैन स्तूप सुरक्षित अवस्था में नहीं मिले, उसके अनेक कारण हैं एक तो यह कि स्तूप प्रायः किसी महापुरुष के अवशेषों पर बनाए जाते थे: जैन समाज में अवशेषों को सुरक्षित रखने का चलन नहीं होने से स्तूपों का भी चलन आगे नहीं बढ़ सका। दूसरे गुफा चैत्यों और मंदिरों के अधिक प्रचार के कारण स्तूपों का नया निर्माण रुक गया, और प्राचीन स्तूपों की सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। तीसरे मन्दिर-वास्तु में विस्तार, विभिन्न मडप, साज-सज्जा आदि का असीमित अवकाश होता है; जो स्तूप में नहीं होता है; इसलिए धीर-धीरे स्तूप का चलन बंद हो गया । चौथे उपर्युक्त स्तूप के आकार-प्रकार से स्पष्ट है कि बौद्ध और जैन स्तूप के आकार-प्रकार में एकरूपता के कारण कई जैनस्तूप बौद्धस्तूप मान लिए गए। (जैन वास्तु-विद्या 75

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