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चक्र में भी नाग की आकृति के अनुसार उन स्थलों को छोड़कर ही 'खात' के नियमों के पालन करते हुए खुदाई करानी चाहिए। ___ वास्तव में 'खात' के लिये नियम ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पालना चाहिए। आगे पृष्ठ सख्या चौंसठ पर 'खात' एवं 'शिलान्यास के मुहूर्त की दिशा का ज्ञान कराया गया है, अतः तदनुसार ही वास्तु की खात-विधि करनी चाहिए।
इससे ज्ञात होता है कि दिशाओं के निर्धारण में ज्योतिष की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है; यही कारण है कि वास्तुविद्या के ज्ञान के लिए ज्योतिष का ज्ञान भी आवश्यक माना गया है।
वास्तुशास्त्र के कुछ चक्र तो इतने गूढ़ और कठिन हैं कि उन्हें समझने के लिए ज्यामिति का भी अच्छा ज्ञान होना चाहिए। परतु अब दिशासूचकयत्र या कुतुबनुमा (कंपास) तथा संगणक (कम्प्यूटर) के आविष्कार ने यह समस्या हल कर दी है।
(जैन वास्तु-विद्या