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ఇవనందitiatiotshistatatatatattatharnatakవత
వనండు వందల
మందు
विधि-विभाग
Eukrintaktikartitel-winterartiniateketinistrarrtskoshiroktarakirakstateriakahakatreekshekshatrakarsatrakoteliarkestatekak-tetradkatearcharddahat.kethalaakestraroristslotatistickastartoolbolist-startinkelcolakaalantietalialee
प्रातःकालीन सामायिक लेने की विधि सर्व प्रथम शुद्ध वस्त्र पहन कर चरवले ( पूंजनी ) से सामायिक स्थल (जगह) को साफ करे फिर पाट, पट्टा या चौकीपर ठवणी रखकर उसके ऊपर स्थापनाचार्यजी की स्थापना करे नहीं तो पुस्तक या माला की स्थापना करे । उस समय दाहिना हाथ सीधा करके बायें हाथ में मुंहपत्ति लेकर मुखके सामने रख तीन 'णमोक्कार' गिनकर स्थापना स्थापे (रखे)। शुद्ध स्वरूप का पाठ बोल कर स्थापनाजी की पडिलेहण करे । तदनन्तर प्रथम तीन खमासमण दे, खड़े खड़े 'इच्छकार०' तथा 'अब्भुडिओमि०' सूत्रका 'इच्छं खामेमि राइयं तक पाठ बोले । (गुरु महाराज की उपस्थिति में उनका आदेश लेकर ) नीचे बैठ मस्तक नवा कर जीमना ( दहना) हाथ भूमि पर स्थापित करके बायें हाथ में मुखवस्त्रिका रखकर अन्भुडिओमि० का पाठ बोले। बाद 'खमासमण' देकर 'इच्छाकारेण संदिसह' भगवन् ! सामायिक लेवा मुंहपत्ति पडिलेहूं । इच्छं कह पचास बोलों सहित मुंहपत्ति पडिलेहे । फिर खड़े हो खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक संदिसाहूं ! इच्छं। कहकर फिर खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन्' ! 'सामायिक ठाऊँ ? इच्छं कह खमासमण दे आधा अंग नवा तीन 'णमोक्कार' गिने । बाद इच्छकारि भगवन् पसाय करी सामायिक दंडक ‘उच्चरावोजी' कहे अगर गुरु महाराज हों तो उनसे अथवा अपने आप तीन बार 'करेमि भंते.' का पाठ बोले। तत्पश्चात् एक खमासमण देकर खड़े खड़े 'इरियावहियं तस्स उत्तरी०, 'अणत्य' बोलकर एक 'लोग़स्स' या चार णमोक्कारका काउसग्ग करे। पारकर प्रगट लोगस्स०४.
१-गुरुओं के उपस्थित रहनेपर इक्कीसों प्रकार की स्थपनाओं में से किसी भी प्रकार की स्थापना की जरूरत नहीं । २–यह दोनों वोल पृष्ठ २ में है। ३- यह सम्पूर्ण तीनों पाठ पृष्ठ ३ में है। ४- यह पाठ सम्पूर्ण पृष्ठ ४ में है।
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