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विधि - विभाग
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आदरणीय है । इसलिये भव्य जीव गणधर तप की आराधना करें तथा गौतम रास पढ़ें अथवा सुनें । तप के पूर्ण होनेपर गणधरों की पूजा करावे, गुरु महाराजों की भक्ति करे और दान देवे, यथाशक्ति साधर्मी वत्सल करे । इससे अन्तमें पुण्य उपार्जन हो अनन्त (मोक्ष) अक्षय सुख की प्राप्त होती है ।
णमोक्कार तप विधि
शुभ दिन गुरु के पास णमोक्कार तप ग्रहण करे । जिस पद के जितने अक्षर हों उतने ही उपवास करे, उसी पदकी २० मालाका जाप करे । णमो अरिहंताणं ७ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे । णमो सिद्धाणं ५ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे । णमो आयरियाणं ७ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे । णमो उवज्झायाणं ७ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे | णमो लोए सव्वसाहूणं ९ उपवास तथा इसी पदकी २० माला का जाप करे । एसो पंच णमोक्कारो ८ उपवास तथा इसी पदकी २० मालाका जाप करे । सव्वपावप्पणासणो ८ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे । मंगलाणं च सव्वेसि ८ उपवास तथा इसी पदकी २० माला का जाप करे । पदमं हचइ मंगलं ९ उपवास तथा इसी पद की २० माला का जाप करे । इस प्रकार ६८ उपवास करे और प्रतिदिन णमोक्कार तप का स्तवन पढ़े । तप पूर्ण होनेपर यथाशक्ति उद्यापन करे । चौदह पूरब का सार इस णमोक्कार तप के करनेवालेको अनेक सम्पदायें प्राप्त होती हैं और अन्तमें शाश्वत मोक्ष पद की प्राप्ति होती है ।
जयति संयुक्त नवपद ओली विधि
चैत्र सुदी ७ से अथवा आसोज सुदी ७ से ओली शुरू करे । कदाचित अगर तिथि घटी हो तो छह से, अगर बढ़ी हो तो अष्टमी से शुरू करे । नौ दिन बरावर आयंबिल करे । भूमि को शुद्ध करके चौकी अथवा पढ़े के ऊपर सिद्ध चक्रजी की स्थापना करे ।
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