Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(३८८ ) ॥ अथ द्वितीय पई ॥ चांडेगढ शेर याहे यानेनगाशंभीमेशापांगुढगाटेड पपांडोहि भारगवांडोहि रान्नवांडोहि कटा झुंडोशापांडे गाशाम|| नोटवासणपशभमाशेवानी,मायाभिषेमेडोशापांडेगार राध्यानगोवाछूटेरोटर्भत्रूटे, ज्ञान घराघनघोशावांडेगााथी सुषिधिनिनेघरकुमशेतो,जांधभंगाणं भाईयोपांडेगाना
॥जयतृतीयप ॥ . तेंसजनगगजायारी,सुरागणीभायापतेसमग टेडगादुर विश्वास डियानिनतेरा सोभूरज पिछतायारीरासुराल गपाते नडियाउ खयतें,तोजीभननभघायाडिनुहुंसें नहिंप्रीतनिला,पैतल जोर सोनायारीसुएगाशाजापान नटिजायजीनल्युं भूढ भतिसषयायागरिभानंघधरम |हरषीनाभंतनर पोहोचायारी सुणगायाभूधर विस्तछप तसजहीकुंनोनगहिरिपायानेशगनीगार निसहूं में शिशनभायारी सुएगाना ति।
॥जथयतर्थ पह॥ यै भुनिशेशभिटावेहोतपघरपैमुनि रोगभिटावाटेगा छोडिरानवसेवनभांहि मातभन्नेशलगावशित्रुभित्रजराज | रोजे, रागद्वेषनहिंख्यावातपघरापासजळवांडीऽईयाोड
रुपरणगारेषतावेशपांच महाव्रत पयसुभतिघर,तिनगुप्ति चित्तच्यावतपधरणाशापर्वत शिखर चढे ग्रीष्मऋतुमातम | ध्यानलगावेगविभातापपणे सुधिसितिनी जेन पावेशन पघरगागावर्षातश्तसहभाछडांस संताचा सीता खनहीतरन्नवे, गढे उभजतावेपतपघाचाराविधिसंया
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