Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 480
________________ (१५९ ) नशीपलुसुरतलगेभोहेप्यारी,नगरीटेजाउरेनिनवारीराज्ञान जनही र गलन ,जेलत समताप्यानगरीगानाशांनसुधार समुडतहीने,ळसतलु भनोहारीमानणाशामजय जड अलेपनि राने,मनुलवलहेसुपियारी नगागाधर्भध्यानी शैलीसाघी,शु| इसध्यान भनधारीगनगावालाजपीस्तालीशलेग्नभाने, चौरा ल्सेंन्यारीरानगापानाथ निरंग्ननगरी स्वाभी,प्रलु भलियो हि तभरीनगा रामविजुध सुन्मए प्रलुल,भापोजनुलवा नगरीगाणा ईतिए होरीनरेनतुंउभति कुलजयी नारी,ताहाराभवशुए बहुसाटेणी,लागे मुल्ने जारीराकुंतुलनेअहिथेननेडुतुनोथे धूतारीपनगाशातेंभुर भोह भाभपायो,वहीगतेवारीचे नेतुंपासें भावेतोगटुंसातें भारी रानाशासोत्नागिएी सुडसिपी सारी,सभतासुंघरनारीपतेतीछे भन मोहनणारी,लागेमुग्नेप्यारी पन्नगागाहवेतो तें साथें जांधी, पूरपरीतियेंयारीतेसाथें भन भान्युं भाई भूडीतुन पिसारी पन्नगाचानिएरोनोमुग्ने सुपासग्नि तरीयोपलुसलारीवाय विभलनोराभउतेतो,उरसे परएतारीनगापा तिला | ॥राणघमाता भजनमें घूम भयी रंगहोरीभघुजनभेगा ॥शदेश यात्राभावे,पूलरपेपलुरन्नेडी। भघुगावागावतराग धभालसुणावत,थै थैनायित भलिगोरीगाभघुगाशातालसाल गजन्नवे,रएनएघुघरी रमन्नेरी भघुगागाशरथनघसीप नगोरी,लरीय टोरी रंगोरीभगानापियारीलरेतवनवन नारी,जाजिर गुलाल वसलरीलरीन्नेरी मयुगापााग्निशुएगप चत हीरध्वधावत, भेरी भलुसुंगीरी भगाया सभेतशिनर तीरथहोरीजेसत,पायोर्शनअनुलोरी।। भघुगाणा ॥रागपभाषाकोसोपास दिनेसरडी, रेजोलोगाभस्तजा - - Jal Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrar 1.99

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