Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 499
________________ ९.४७५ ) साढाजार वरस तपतपीया । भ जपावीनें शिवपुश्वसियाना पाणिपरे मलुलनी भारती उश्शे ॥शुल परिणामें शिवपुर बरसे ॥ णिपरे निनलनी भारती गावे ॥शुल परिणामें शिवपुर नवे ॥ जागा उरब्लेडी सेवा खेभ जोसे। नहीं डोर्घ मारा निनलने तोले । खानामा छिन ॥ अथ मंगलिङ टीपड ॥ ।। हीवोरे हीवो भंगसिङघीवो ॥ जारती बीताशेने जडु यिरं लवो ॥ हीना सोहा भए घर पर्व हिवासी । संजर जेसे नजलाजासीराहीना हे पास लएगे घेणें हेव जन्तुश्नासी ॥लावें लगतें विघ्ननिचारी ॥ हीना हेपास लएो छऐंगें उसी असें ।। जारती बीतारी शल भर पायेंगाहीगातम घर भंगसिङ जम घर मंगलिया चतुर्विध संघ घर मंगलिङहीवो ॥ हीना घिति॥ ॥ अथ मोटी जारती ॥ ॥ पेहेलीरे भारती प्रथम निएगंध ।शत्रुन्न मंडए। ऋषलनिां धान्यन्य भारती आहिनिहंडी । दूसरी भारती भरहेवीनंहा गन्नुगसारे घरम निवारऊधान्यगाथा तीसरी भारती त्रिलुंबन भोहे । रत्न सिंघासन भारा पलुलने सोहे ॥नना पोथी भारती नि त्यनवी पून्नाहेव ऋषल हेव श्जवर नहिंदूलाननाशापांचभी जार ती प्रलुकने लावे ॥ प्रलुलना गुए। सेवड भिजावे ॥नगाआआरती डीनें मनुशांति निएहंडी ॥ भृगसंछनडी में लीं जसिहारी॥न्यन्य आरती शांति तुमारी ।। विश्वसेन संयश हेवीडोनंघाशांति निएांध भुज पूनम धंधाान्यगाना भारती डीनें प्रत्लु नेम निांडीज संछनडी में लीं जसिहारी ॥ जागा समुह विनय शिवा हेवीडो नंहा नेभनिएभुज पूनमधंधा खाणाचाभारती डीने प्रलुपासन रांडी ॥सिंह संछनडी में लीं जतिहारी ॥ जाणाश्नश्वसेनचाभा हेवीडो नंदा ॥पास निएां भुजपूनम यंहा नवा शाजारती डीनेंभ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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