Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 481
________________ मुकुट सोहे मनमोहनानंगीयांसोई उसरसी राजोगापावित्नुपना न्योतिमजंडिततनश्याभघासीपतघरी जोगाउन जायचायन्युंजाल,लतमरी अपने घरवाने जोगाशाजालप एभेजलुत ज्ञानशुंउपाधी विषधरी गानेजोगाभाहरन भइससजसजपायो, श्रेणी पिढीजैसी शिवपुरानेजोगाउआमा नाचाभा और निलन्नयोरापीअश्वसेन नरेसरडारेजोगाजा दिग्नि मेरे भन्नु पारससी या शिवपुरी परेजोगाच्या ॥रपोसिलरहरिशन पाणरे, भत्नुहोईपजन्योहेराहिला एपमानंहन हरित जंहन, परशुभलजलनणगाप्रलुशेगापिया पानीलभला सोमलवाने,सेवन में चित्तवाणशापत्नुरोगाधिता लगाशायुन युनालियां यंपनी, हाथशुभाषजनाणशाप्रमुगा घिलगाउाश्रीभुनिसुव्रत सुव्रत सेविनाथसमानहाणीशानुगा | हिलनाचान्यायसागर प्रलु सुव्रत सेवा, नियतले हिसलाणा पित्लुरोगामिनापा होरी महारा साभलीभानीवातरे,कुंडेने पृथुमहाराणा लेने पृथुतेपूर जनावे,पीया जिनरयोनन्नयराहुंगापातोरणमा मेयरथी,पशुञांनो सुपीय पोडारशाहुंगाशाजांजा भो साडेशुरे डूल्यां,भायो भासणसंतशाहुंगाजापुर भोरजपैयारे नोखेडीयतशम्सुणावेगाईगाचारभर नरभर भेहुलोजरसे,पडे रंगशेखगराहुंगापाखज्योसंदेशोमीयाभिलवेो, जराणमा नन्नयगाहुंगाहारियडशलक्ष्य शिष्यभनंप, वटसल च्यान घरंतशाहुंगाणाति। | हरीशांतिलरमार, चापोजेसीयहोशांतिला भासवसंतलपिङ परिणामी,शेरे तुमें शिरहाणामालागाशाजात मज्ञान रजन, निपाधिसहाराायापोगाशाशुश्वयना मृत कोडिलजोसे,सनहिनइंसुजासाचालोणाशाग्नेगाष्टउचर - Jal Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrarig

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