Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 448
________________ ॥ अथ पंडितपयल त ॥ ॥ श्रीग्निप्रतिमा स्थापन स्तवन । | ॥ तेनिग्यारेभावशेषजेशीपनवारेनगरमांलेटीयें। निनवर ग्यतारीपरमानंहमहारसी, भूरति भनोहारीनारायण रविंसनीपोंसडी, इंनि भनभातेसहुमान सस्तथ,प्रणभन्न गनाऐंगानगाशार्शन हीरे टेपमुजन्नमेगायिनंसुषणप लेसमतारसपूरेगनालाग्निभुशग्निवर सभी,शिवसाधनला जीपाश्रीभरिहंत अविलंजन, पूरएता घजीवनगाथापणसं चिरनिलम्तिनुंससरिjतोट्युराहेतुसुन निःशेषपएमाग |मभांजोल्युनगापातुंशीयानगरीने आपउँलिन पत्नीधी,ल गवर्षभांसज पुजती, पूनविधिषीधीरानगाराषलत अघि जरमांववाणवांगेपिहरताग्निपुर पून्ना, अधिकार प्रसं गगनगाणालगवर्ष जंगेसाघुलानिनप्रतिभावाभावश्यड भांपूरना,अनुमोहिमानंहीरानगागालतपयन्नासूत्रमा,नवः यजाएयांमहानिशीथे पूनभाइसमलुतन्नएयागनगाला लगवानुयोगदारमा नियुक्तिप्रभागीयते भांपून चैत्यन नी,विधि सर्वचजाएगनगाणसंपाविमो अभे अयुं,ग्निमा गनमतांगसंपत्ताएंगय्यरथुप्रतिभासंस्तवतांगनापामा पश्यपंथांगीमां, पुस्तऽथयुंपेहेjाले अधिकार तिहालज्या,चि घिपूर्वञ्चहिनानगाशाअन्यसूत्रसजतांथनलज्यूंते विगते गते भाटेशंगडिसी, निनपूललगानगामापुस्ताढ लिये त्यांतसवयनसोला यूपी में पूनही,सीशंगघोलानग एनानामनिक्षेपोपीयरे,न भतांनाएंनाभथापनापुगलगी,शाभाटेनबंधानगापापिनयवैयावरय घनमें, हिंसानविसे जामति हिंसाघजवी, अंपूनवेगानगाहाभागभम सद्यापिना,आगमणथापतेतपजप उरताथांनविलयलय Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary

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