Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( १ ) याधीनने हेज, उरने ताप्तध्यासुपिशेषाणाघरअनुसारें रेनेशान, भोहोटाशुंभउरे भनिभानाशुश्ने भुजलेने भाजजी धर्भन भूरीश नडे घडीमायापारशुध्यरेव्यापार,मोणधिनी परिहारण मलरने उनीही साजाननशुंडथनभलांजापाननंताय उही जत्रीश,जलक्ष्यजारिशे विश्वावीशातेलक्षएनपिजीनेछि मेरयां दूणां इसमतानिभातगारापिलोग्ननाघेष,न्नणी नेरने संतोषासालसाजूलोहनेगली,मधुधापडीमतवेयोच पीपावली भाशवेरंगण पासषराधणांड्यांछेतासापा पागले जेजेवार,नगुणलपीतांषमपाशाब्यागीनाई रयत्न, पातछंडी उरने पुण्याणणाघरा लोग्नेयवाच रने निभ पापनहोयागाएतनी परेवावरनेनीर, नएसनार भघोशथीशानलवतसूधुपालने जतिपारसपताटायगा।
चाज्यां.पन्नरे उर्भाधन,पापतगी परहरने जापाठीशंभो तेजनरथ, मिथ्या भेषभलरने पिंडापासभडितशुध्या राजन,जोसवियारीनेलांजगापांय तिथि भाउरे गारंल,पायो शीयततन्ने भनटलपातेलतकघृत पने घहिणघागंमत | भेतोसहीणित्तमहाजरयो वित्त, परोपणार अशेशुमचित्ताप राजाविस परिभरने योरिहार, थारे भाहारतएो परिहारण विसतणांभाषोभे पाप.निमलाने सघवासंतापाएपटासंध्या येनावश्य सापिये, ग्निपर पराशरणलपलवचारेशरणारी दृढ होय,सागारीभरासाषेसोयएमा उरे भनोरथ मनोहया तीरथशधूने नयवासभेतशिजर भाष्यूगिरनार,लेटीशकुंघन्य पन्यभवताशारणाश्रापऽनीउरएीछे नेहा नेहथी थाय लवनो। छेहरामा उर्भपडे पातलां,पापतपाछूटेमामलापशावरिलहियो जभर विभान,जनुक्र पाभे शिवपुरधामाउहे निनहर्षघऐससने धरणी पुणहरपीछे नेहाशा पनि
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