Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 477
________________ ( ४५३ ) ससना नेऊ साजने जाए सहस वर, लाभिनीनो लरताशाशासोला जीन्नियर साहे जो हो । हो मेरे सखना। मलुल परभ घ्यास सोल गीगाश्श्रेष्ञांगी। नवनिधानन्सहीपतारे, पीघ्रयएा अलिराभा रागरंग रस मांहें लीनो, साहेज भुत भहिरजाना सोलागीनाशाछनु कोड पायङ प्रलु जागें, शोस सहस यक्षन्नए] ॥ जत्रीश सहसरान्न शि रनाभे, पटमंड प्रलु तएगी जाए। सोलागी ना। पैक्रीता सुमलोगी रे, पछीसीघो संयभलाशाडेवस सही शिव मंदिर पोहोता, अंति विग्य न्यासा सोलागी गाना छत ॥ वसंत॥भुटपर वारीयां जो, पारीयांजो वारीयांजोवारीयांजोप मुकुगाडाने डुंडस शिर भुकुट जिराने, जान्नुजंघडी छजिन्यारीयांजो भुव राशाथूजा श्रूश्मायंहनजोर श्जरणन्न, देशरपुष्प चढावीयां मोभुनाशा वामानंदन त्रिना वंदन, सुरतडी जसिहारीयांजो॥भुगाआन्यायसान गरमलु पास पसायें, द्यो हरिशन दुःजटारीयांजो भुनाना ॥ ज्यास॥चाएगी निनवर तएगी, लागे भोहे प्यारी । पाएगीगा माया सजन्नूही लर्छ, तनभनवारी ॥वाएगीगान्नने होल्युन्ननेनै न, धर्म सुजडारी ।वाएगीणाशा भभताडे संग थडी, लवणयोहारी गवाएगीना जजतो सरन जायो, जिरेह सुन्यो लारी गवाएगीणाशा तेरो ज्यान तेरो ध्यान, भूडुंन विसारी ॥वाएगीगा मायापुरीताशे भोपें, हिलपर धारी ॥वाएगीनाआर्धति ॥ नयन निहारी पीया, प्रीतडी संलारी ॥नयनना जैसे भोपेल यो सांर्धयां, जघजिप छारी॥नियनगाशाघरें नित जावो प्यारा, युगला छारी पानयनगा निपट न डीनें भैसी, बीहासी में वारी॥ नथननाशाग्जटङरश्लोक मेरो, भन तोसें लारी ॥ नयनगारटन उरत पीया, गर्छ निंह सारी ॥नियन गाआश्जड लव संगरंग, जैसेंही जोडारी नयनगाटुनोउछुडीनो भानुं, भुक्ति धूतारी नभनगा नासार नछोरंतो री, डुंगी ज्जत घारी॥नियनणाभेलीतोच For Personal and Private Use Only Ja Educationa International www.jainelibrary.org

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