Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( 3 ) जीनोाहुंगाश्रीभुजनेभनिएंडराइंगहाणभायोगांचाहुंगाएं न्यन्नध्यसपशाहुंगाढंगाचागतीमारे भुनियर भट्याराहुंगायां |
नरेशशाहुंगायिही भिथ्यात्वीरेजीनागााव्योलाव विशे| पशाईगाढंगापाभावोभभघरसाघुलााहुंगाप्यो भोङछेशुध्यरे ||राहुंगाऋषिक सेनापीयााहुंगाप्रनुलपासपिशुध्यवराहुंगाढंगार पमुतसष्येभोछभिल्याहुंगापूछे छेउहो पाताहुंगालव्धिनहींच सताहरी राहुंगाश्रीपति लष्यनिहालगाउँगाढंगाणातो भुननेची नहीं हुंगायाख्यो परहए गन्गाहुंगाट निलाई नमनाउंगा धूरे उर्भसभागाउँगाढंगागाभाची सूचीलापनाराईंगापान्योउपल्या नागाशाहुंगाढंढएऋषिभुगतेंगयाराहुंगाउहेलिनहर्षसुन्नणाराहुना
.. ॥ अथ अभंतालनी सळाय ॥
॥ श्रीअभिताभुनिवरन्नूडी, उरणीरीजविहारीराजटवर्षन संभलीनो चीरचपनचित्तधारीवाश्रीगापापिनयनृपति श्री चीनन,पोलासपुरजवतारीवगामंगजण्यार पढेशुगार,वि|| विघत्रिविध विहारीयश्रीगाशातपयुएश्यासंघच्छरभाजि उरअयजध्यारीचामलुभादृशे चिपुषापम परें,ज्रीमणसरा अतिलारीगानीगागाचसपाय भुस्तिगये मुनिपर, उसंडनिया रीवाजहार भऽता तिहि गिरिडीनीथापनासारीयात्रीगाचा वायजममृतधर्मसुशुरडे,सुपसायें सुविधारीवेराशिष्यक्षमाउल्या राहरजघर,णुएगावेजतिन्यारी एग्रीगापा पति पर
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३०॥७॥
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पलनीसळाय॥
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हुंचारीपासाप्मावती पूडेंजपनोगाउँगाउभेंडीयो शालगाईन् । पाउडूनेचंपाराहुंगापहिलो प्रत्येऽष्णुघशाहुंगाणिश्वानप
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