Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( 13 ) भनेञ्थतन्नपिया सगारिशन विएराग्निवासगाभागभयी| भतिन्नाणियोसगारी निरभलसेवासगापानिरभव साघुलग निसहीसगायोगभयहोयासगाडिरियामपंथ निभसहीप सगाईवजयाउन्नेयासमा प्रेमक्सरग्निवासगाभो नीयक्षयन्नयासनाभितपूरणसुरतरासगामानंधन प्रल |पायएसजीपणा तिता
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॥ अथ श्रीनेभनिग्न स्तवन ।। ॥घरेमापोनेनेभवरणागियारे, घरेभावोने श्यामवरण गियावाने मांगीताशुहीयेतेभोहोरलूपनेरे, तो भोहाधु तभारा पनेशाधणापावापाना भुजनांते भीडावेएछरे,वापान नीजिडलीभांयेणारेपणाशाचालोयित्ततपोते पोरछेरो भारा शबन्डानीओरछेगापगाउावाहाले पशुपपर उगाज रीरे,वाहावेलवघ्या भनभां घरीशाधनाचावाहापोतोरएथी| पाणवठ्यारे वाहालागढ गिरनारे यत्यारोपणापागाहान सागढ गिरनारनापाटभांरे,मुनेनेभन्न भल्याछेचाटभागाधना हवाइपथरंगें भिट्यारे,महाराभनना भनोरथमविश्ष्यारोपण
॥ अथश्रीयुगभंघर निन स्तवन ॥ ॥श्रीयुगभंघरवीनरेवीनतडीअवधाररे घ्यापरायाने परपरिणतिरंगथीरे,भुग्नेनाथजीशाररे घ्यालराथाश्रीगाधान शाहरुनोग्यतारे में सीधी भारायरे घ्यालरायापएतुल्स रिजोलुखहीरे साथीचातपायरेट्यालशयात्रीगाशायद्यपिन भूषवलावभारे, परर्तृव विनायरे घ्यालशयामस्तिधने म हारोरे,नेरुनोतथ्यमलावरे ध्यातरायानीगाडयापर परिणाभित्ता शारेखहे पररगयोगरे यालशया पेतनता परगटथरे,रायी
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