Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 330
________________ ३२७ जैनकथा रत्नकोप नाग चोथो. स्वामी पामें पधारो. एबी वाणी सांजली रीज पामीने देवीने नमस्कार करी कह्यु के हे अंबे! तुं सर्व महाग मनोरथ पूर्ण करजे अने आपदाथकीमने रा खजे एम कही देवीने पगे लागी सूडाने सायें लऽ कुसुमश्रीने तेडीने धनप तिना वाणोतर साथें वहाणकपर कुमर पायो धनपति पण तेने वहाण मां वेसाडी वहाण चलाव्यां. मार्गमां धनपतियें पूब्युं त्यारे कुमरे सर्व पो तानुं वृत्तांत कयुं ते सांननी धनपतियें घणी आश्वासना करीने कर्तुं जे त हारं कुःख आजथी सर्व गयुं एम जाणजे एम कहीने कुमरने जे कांश खावा पी वाने माटे वस्तु जोयें तथा वस्त्र प्रमुख जोइये ते सर्व धनपति शेठ पूरतो हवो. एकदा कुसुमश्रीन रूप देखीने धनपतिशेख, चित्त बगडयु तेबारे कुमरने मारवानो बल जोवा लाग्यो एकदा रात्रियें कुमर देहचिंतायें वहाणनी को रें मांची वेतो तेवारें - तेने धको दर दरीयामां तेली नाख्यो. पड़ी यो डी वार रहीने जो पोकार कस्यो जे हमणां समुश्माहे कोक माणस पड वानो धूपको थयो एटलामाटे सदु कोइ पोतपोताना सथवारानां माणस संजालो एवो वंचेस्वरें शेने पोकार कस्यो. ते सांजलीने कुसुमश्री नतीने जू वे ने तो पोताना स्वामीने दीतो नही तेवारें सूका काष्टनी पेरें अचेत य मूर्ना खाइने पृथ्वी पर पडी. थोडी वार पनी मूबी वली तेवारें पोकार कर ती वारंवार विलाप करवा लागी ते सांजलीने कपटी धनपति तथा वीजा पण सर्व वहाणमांहेला लोक विलाप करता हवा. एम करतां प्रनात थयुं ते वखत सर्व वहाणना लोक वारते थके पण ते कुसुमश्री पुःखरूप समु इमां पडीथकी समुश्मां ऊंपापात करना जेटले जाय बे तेटलामां तो अकस्मा त् पालथी कुमरे आवीने तेने निपेधी बांह कालीने राखी एटले कुसुमश्री विनोद पामती अत आनंदने धरती थकी कुमरने पूलती हवी के हे स्वा मी ! तमे क्याथकी देवतानी पेलें अकस्मात् श्रावी पड्या ए वात कुसुमश्री ना मुखथी सांजलीने कुमर बोल्यो हे प्रिये ! ढुं कांश जाणतो नथी जे मुज ने समुश्मां कोणे नाख्यो अने पाडो इहां लावीने कोणे मूक्यो ते वरखत वहाणना लोकोमाहेला एक सार्थवाहने मूकीने वीजा सर्वने आनंद उप न्यो अने सार्थवाहने कारिमो आनंद उपन्यो पण अंतरंगथी खेद उपन्यो कुमरें सार्थवाहनुं कर्त्तव्य सर्व जाण्युं पण कर्तुं नही जू कुमरनी करुणता, दादिष्यता, माहापण अने बुद्धि के जेणे धनपतिशेग्नुं मनेंकरी पण

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