Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 452
________________ ४४० जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. जहणनेयर्थे तिहां उना रह्या तेमां प्रथम एक जण बोल्यो के वृद उपर चढवाथी कदापि पडी जवाय तो तेथी मरण थाय माटे या वृदने मूल थी बेदी नाखी, नीचे पाडीने पनी फल नक्षण करिये तेवारें बीजो बोल्यो के आपणे महोटुं वृक्ष बेदीने गुं करवु तमे महोटी शाखा वेदो, तेवा रे त्रीजो बोल्यो शाखामांहेली प्रतिशारखा दो, तेटलामां चोथो बोल्यो ए नां गुन्हा तोडीने जांबु खाउ, तेवारें पांचमो बोल्यो के जे फल पाके लां ले तेने उपरथी लइने नहाण करो; ते सांजली बो बोव्यो नीचे ख री पडेलां फल लेने नहाण करो ए दृष्टांतनो उपनय वीरीतें ले. जेणे कह्यु के वृक्ने मूलथी दो तेनी कृष्णलेश्यामा प्रवृत्ति जाणवी तथा म होटी शाखा बेदवानुं कहेनार नीललेश्याना परिणामवालो जाणवो, प्रति शाखा बेदवाथी कापोतलेश्याना परिणामवालो,गुजा बेदवाथी तेजोलेश्या ना परिणामवालो अने पाकेलां फल तोडवाथी पद्मलेश्याना परिणामवा लो तथा अने पडेलां फल लेवाथी शुक्ललेश्याना परिणामवालो जाणवो. __ अथवा बीजं उदाहरण कहे के कोक गामनो पराजय करवानेअर्थ ब चोर निकल्या तेमां एक बोल्यो जे कोइ हिपद चतुप्पदादिकने देखो ते संघलाने हणो, बीजो बोल्यो मनुष्यने हणो, त्रीजो बोल्यो पुरुपनेज हणो, चोथो बोल्यो शस्त्रधरनारने हणो, पांचमो बोल्यो जे आपणी साथें यु६ करे तेने हणो तेवारें बो बोल्यो के आपणे कोइने हणवो नथी मा त्र एक धनज हरण करो बीजा कोश्ने मारशो मां कांक गोहरणादिक ज करो ते पण जेम कोइनो संहार न थाय तेम करो. इहां पण सर्वने हणो कहे ते कृष्णलेश्याना परिणाम, एवा अनुक्रमेंकरी शुक्तलेश्यावंतना परिणाम पर्यंत कहेवा ॥ ए बत्रीशमी गाथानो अर्थ थयो ॥ ३६ ॥ हवे थोडोसो बंधपण दुःखदायी थाय एवी आशंका ____टालवाने गाथा कहे .. तंपिड सपडिकमणं, सप्पडिवं उत्तर गुणंच ॥ खिणं नवसामेश्, वादिवसुसिस्किन विडो ॥३॥ अर्थः-तोपण समकेतदृष्टिने आरंनादिकमां अल्पपापबंध जे पडे ते षड्वि ध आवश्यक रूप पडिक्कमणुं करतांबालोवतां मिजामिछक्कड देतां पश्चात्ताप

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