Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 399
________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ३०७ णे जे रखे महोटो ना धन काढी जाय; एम एकेकनी उपर प धरता रहे माहोमांहे कोनो विश्वास न करे एम करतां महोटा नाइने घेर सी मंत महोत्सव थाव्यो ते देखीने न्हानो नाइतथा न्हाना नाश्नी व बेदु जण मली इषथी चिंतववां लागां जे एने पुत्री थाय तो सारूं थाय, परंतु षीनुं चिंतव्युं कांइ थाय नहीं तेथी महोटा नाइने तो कोइक पुण्यना यो गथी अतिसुंदर पुत्र थयो तेनो जन्मोत्सव घणी रूडीरीतें कयो एम म होटा नाइने सात बालक थयां तेमां ते स्त्रीपुरुचे पूर्वोक्त दीकरी याववा नीज चिंतवना करी तेथी अशुनकर्म बांध्यु. हवे श्रापमा गर्ननेविपे ते स्त्री जरतार पिसहित एम चिंतववा लाग्यां के एने कुलहणो पुत्र थाय तो सारूं के जेथकी जेम वायराथी मेघ नाश पामे तेम एनुंधन सर्व नाश पामे. हवे न्हाना नाश्नी नार्याना गर्ननेविपे पण महोटो नाइ तथा महो टा नाश्नी स्त्री मली वेदु जण एम चिंतवतां हवां के एने लक्षणरहित धन नी हानि करनारा पुत्र थाय तो सारूं तो पण ते न्हाना नाश्ना शुनने उदयें करीने सर्व पुत्र सुजात उपन्या फोकट ते वृधनाइ आकरां कर्मनुं उपार्जन करतो हवो. माटे धिक्कार पडो पिने, हवे आतमे गर्ने तो ते गर्ननी विचि त्रता थकी महोटो नाइ स्त्रीसहित घणा डाननो पश्चात्ताप करतो थ को एम विचारवा लाग्यो के पापणे वेदु जणें मातुं चिंतव्युं ते ठीक न की, माटे हवे जला लक्षणवालो नत्तम गुणें सहित एवो एने पुत्र थान.. हवे ते वेदु नाश् श्रावकनो धर्म पालीने देवलोकें गया तिहाथी चवीने तमे वेदु व्यवहारिया यया, जेवां पूर्व कर्म बांध्यां तेवां या नवने विपे शु नागुन उदय आव्या. एटला माटे जो परने शुन चिंतवीयें तो पोताने पण शुननो बंध पडे अने अशुन चिंतवीयें तो पोताने अशुजनो बंध पडे माटे कोश्नी नपर माठी चिंतवणा स्वप्नमांहे पण करवी नही. हे यात्मा ना हितवांडक नव्यजनो ! दुःखनुंज आगार एवो जे मत्सर तेने तमे बां मो, जेमाटे उर्जनपणुं जे ले तेत्रण जगतने पुःखदायी जे अने सङनपणुं जे जे ते त्रण जगतने सुखदायक , सऊनपणां आश्रयी मैत्र्यादिक ना वनानुं स्वरूप चोथा पोडशकमध्ये कह्यु ॥ यतः॥ परहितचिंता मैत्री, परफुःख विनाशिनी तथा करुणा ॥ परसुखतुष्टिर्मुदिता, परदोषोपेण मुपेदा ॥ नावार्थः-पारका हितनी चिंता राखवी ते मैत्री जावना, तथा

Loading...

Page Navigation
1 ... 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477