Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 55
________________ जैन-धातु प्रतिमा लेख (१२९) संवत् १५११ आषाढ़ सुदि ४ गुगै थ्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठि देवराज भार्या सीनू सुत कीकवजू समधर अजा भार्या रंगी अजाकन म्वपितृमातृकन्नत्र श्रेयोथं चन्द्रप्रभस्वामिबिंबंकारितं प्रतिष्ठित आगमगच्छे श्रशीलरत्नसूरिभिः ॥रणेला वास्तव्य ॥६॥ (१३० । संवन १५११ वर्षे आषाढ वद ९ श्रीउकेशवशे शाहशाखायां सा० सोभ्रम पावन भार्या उसत्ती पुत्र हरिपाल करपालयतेन श्री शातिनाथविध कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजिनराजसूरिपट्ट' श्रीजिनभद्रसूरिगुरुभिः ॥अ. खरतरगच्छे।। (१३१) मंवत १५१२ वर्षे पोष वदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव० ठाकुरसी भार्या पाल्हणदे. सुत धीरम वीकम रतना भुवा एते मातृपितभ्रातृनिमित्तं प्रात्मश्रेयो) श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं कारितं श्रीपूर्णिमापक्षो श्र.कमल प्रभसूरिभिः प्रतिष्ठितं । विधिना टीमा ग्रामवास्तव्यः॥ श्री।। ( १३२) ५० सं० १५१२ वर्षे आषाढ़ व. १ श्री उकेशवंशे दरड़ागोगे मा. हरिपाल सुत सा० श्रासा साधू तत्पुत्र सं० मंडलिक सुश्रावकेन भार्या सं० रोहिणि पुत्र सं० साजण प्रमुखपरिवारसहितेन निजश्रेयसे विमलनाथबिंबंकारितं प्रतिष्ठितं च. खरतरगच्छे अंजिनराजसूरिपट्ट श्रीजिनभद्रसूरिभिः ॥ १२९. जैनमन्दिर पीपलगांव नासिक १३०. नया जैनमन्दिर नागपुर १३१. जैनमन्दिर वर्धा १३२. चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैनमन्दिर पायधुनी बस्बई "Aho Shrut Gyanam"

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