Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 80
________________ ૫૪ ( २४३ ) संवत् १५४२ वर्षे जिष्ट (? ज्येष्ठ) वदि ४ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० धना भा० रागू नाम्ना स्वभ्रता जास्वार्थ वासुपूज्यपंचतीर्थी बि कारितं श्रागमगच्छेश श्रीश्रमरसूरिभिः । प्रतिष्ठितं । उदयपुर वास्तव्यः । ( २४४ ) सं• १५४२ वर्षे फागुण शुदि ५ गुरौ श्री भावडारगच्छे उल्ल.० प्राम्हेडागोत्रे प्रा० देपा भा० हाराने पु० जगपान नाथा जगपाल भा० जसमा पु पोदा पितृमातृपुण्यार्थ श्रीनाथ का प्र० श्रीभावदेव सूरिभिः । जैन धातु प्रतिमा लेख ( २४५ ) संवत् १५४३ वर्ष वैषाख वदि १० शुक्रे श्रीमालज्ञातीय आामांकी नाम्ना मनसु कुटुम्बयुतेन श्रीशांतिनाथचिव कारि० प्र० बृहत्तपागच्छे उदयसागरसूरिभिः । गंधार बंदिर || ( २४६ ) संवत् १५४३ फा. वदि शनौ देवासनगरवासी प्राबाटज्ञातीय सा० साजरा भार्या सूहब देवी पु० मह लापा भाव करमी पुत्र रत्नासाह देवसिंहेन भार्या नाथा भगिनः श्रामाह तद् भागनेय सा० रामा भावड़ भा० धनी रंगपुत्र हरवाई प्रमुखकुटुम्बयुतेन २४ जिनपट्टसकारावित्रां (d ) स्वश्रेयसे श्रायांसबिंद का० प्र० तपागच्छे श्रीश्रीश्री लक्ष्मीसागरसूरिभि: । ( २४७ ) संवत् १५४४ वर्षे फागण दि २ गुरु श्र े० मोला भा० मडाल मणिक श्रीकोरंटगच्छे श्रीसावदेवसू (रि) | २४३. महावीर स्वामी जनमंदिर पायवुनि बंबई २४४. खरतरगच्छीय बड़ा मंदिर तुलापट्ट कलकत्ता २५. शांतिनाथ जैनमंदिर दादर २४६. जनमंदिर शाहपुर बंबई २४. जैनमंदिर गांववाला चांदवड़ "Aho Shrut Gyanam"

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