Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar
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परिषिष्ट २
लेखों में आये हुए आचार्य व प्रतिष्ठायक मुनियों के नाम
श्रजितदेवसूरि
श्रमरसूरि
अमररत्नसूर
श्रमर सिंहसूर
श्राणन्दप्रभसूर श्राणन्दविमलसूरि
श्रानंदरि
इन्द्र (देवाचार्य
उदयचन्दसूरि
हृदयदेवसूर
उदयप्रभसूरि
'जयवलभसूरि - उदयसागरसूरि
उदयसुन्दरसूरि
उदयावान्दसूरि
२३ गुणनिधानसूरि २४३ गुणदेवसूरि
१२५, २२१, गुणधीरसूरि
२८८, ३०७
गुणा रत्नसूर
१०४ गुणसमुद्रसूरि
१४५ गुण सागरसूरि ३३५ गुणसुन्दरसूरि गुणाकरसूरि
कुशलचन्द्र गणि
क्षमाकल्याण गणि
क्षिमाभद्रसूरि
गुणचन्द्रसूरि
२१, २४,
४.६ ज्ञानसागरसूरि २८०, ३०५ शानविमलसरि
१३३ जयकीर्तिसूरि
४५, २८
विम
१४४, २४६,
३०५
कक्कसूरि १४, ३४, ३६. १०७,
१२१, १३२,१३६, १४२
पचर
६२ जयचन्द्रसूरि
१६८, २६६, २७३
ककूदाचार्य ३६, ६४, १४२, १६८
२२०, २३२, २५५ कमलप्रभसूरि १३१, २६३, २८६ कल्याण सागरसूरि
३.५.७
३५५,
३४६, ३५३
जयकेशरिसूरि १४४, १४५
जयशेखरसूरि
चन्द्रसूरि
जिनोदयसूरि
जिनकुशलसूरि जिनचन्द्रसूरि
" Aho Shrut Gyanam"
*
१६५,१७८
१७१, २०४
५५, १६५
RK&
-२१६ जिननन्दीवर्धनसूरि ३३ जिनदत्तसूरि
१२०
२६,५१, ११
३०५
***
२१, २२७ १०० ११७
६६, १०१ १९५
२११, ३३६
७५
12
२४१
१८३
२०, २१, १२३ १५६ १६० १७३,
२१७, ३०२, ३१८,
३४३, ३४४, ३६८
३५७, ३६१.
३८४

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