Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 143
________________ सौन्दर्य प्रोर कला Ma wwwwwwww.. संस्कृति के वे महान अंग हैं जो हुतंत्री के तारों को झंकृत करके लेखनी या छेनी की सहायता से मूर्तरूप धारणकर संस्कृति के सजीव और चिरजीवी प्रतीक बन जाते हैं। " श्रमण संस्कृति" में कला और सौन्दर्य का कितना सम्मिश्रण रहा है, यह अनेक प्राचीन कलात्मक शिल्पावशेष पुकारपुकारकर बता रहे हैं । प्रस्तुत विषय पर विशेष विवरणात्मक सामग्री पढ़ने के लिये अपने विषय के महान ज्ञाता श्री मुनि कांतिसागरजी द्वारा लिखित : श्रमण-संस्कृति और कला मंगाकर पढ़िये पृष्ठ संख्या १२५, मूल्य १ ) रुपया, प्राप्ति स्थानभारत नावेल्टी स्टोर्स ४८१, सुभाष पथ, जबलपुर म० प्र० "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 141 142 143 144