Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 121
________________ परिशिष्ट ] [ १३ ___संवत् १८६० वैषाख सु ५ चंद्रवासरे मबह प्रेमचंद भार्या जुइती पुत्र सवाइचंदेन सहसफरणा बिम्बं कारितं प्रति विजयाणंद सरिभिः ।। बिम्ब ११ सर्व तिणमें सहसफमा बाकी, ओर इणदेहरे रे उपर चोमुख १ देहगे दूजो खूरों में, तिहाँ प्रतिमा मूलनायकजीरे पिछाडी देहरी १ तिरम में चरण बड़ा है रायणरा। देहरी ३ तीजो खूणे में तिणमें प्रतिमा १४ पाषाणरी। देहरी चक्रेश्वरीजीरी है। देहरो ४ चौथो खूणे में सहसफणाजीरो संवत् 'लारले मुजब, पहिले देहरेरो प्र०८, तिणमें सहस्रफणाजी। वाकी ओर प्रतिमा नग दोय । २२ बारणे। इणहीज मंदिररे सभामंडप में प्रतिमा २ आले में कोरणी आबूजीरी छे। इण ४ मंदिर रे ऊपर चोमुख ३ ओर है ऊपर ओर मेरु भी है। खंभा ४, प्रतिमा १६ है, एवं २८ भमतीरी देहरी ५७ तिणमें प्रतिमा सर्व २४३ है। देवी मूरत व भमती है। चौवीसट्टा २। अवे पोल बार भैंरू की मूरत २। सिंचाई की ओरडी १ है। १ कुण्ड है। खोडियामाताको बगीचो छोटो है। देहरो आदबाबारो है। तिनरे पासे मोतीबाई वेन भगवानजीरी है। बालावसीरीविगत मूलनायकजी श्रीआदिनाथजीरी सम्प्रति की भरायोडी तिणमें नामो नहीं है । पसवाड़े प्रतिमा तिण मे नामो ॥ सम्वत् १८६३ ना मि० माह सुदि पक्षे १० तिथौ बुधवासरे कल्याणजी कानजी तत्पुत्र दीपचन्द अपरनाम बालाभाई श्रीआदिनाथ बिम्ब कारापित, प्र० श्री देवेन्द्रसूरिभिः । तपागच्छे ।। प्रतिमा ३० मूलगु भारा मे, । पंचतीर्थी ४, गट्टो १, बाहिरे मंडप मे २३, वाहिर यक्ष-यक्षणी है। सामने पुंडरीकजी तिणरी विगत __ सम्वत् १८६३ ना मि० महाशुदि १० तिथौ बुधवासरे श्री मम्मोईवासी कुँवरबाई पुत्र बालाभाई आदिनाथबिम्ब कारापितं प्रति. "Aho Shrut Gyanam"

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