Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 119
________________ परिशिष्ट ] पोलमा वडता जिमणेपासे मंदिर है तिभरी विगत । सम्वत १८६३ शाके.......प्रवर्त्तमाने माघमासे शुक्लपक्षे दशमीतिथौ बुधवासरे श्रीअहम्मदावादवास्तव्यः उसवालज्ञातीय वृद्धशाखायां सिसो० वृद्धशाखायां शेठ शान्तिदास पुत्र सा० लखमीचंद तत्पुत्र शेठ खुशालचन्द तत्पुत्र शेठ वखतचन्द तत् भार्या जड़ावबाई तत् नाम तावत् पुण्यार्थ श्रीमहावीविम्बं सेठ हेमाभाई सेठ मनसुखभाईयुतन उजमबाई प्रमुख कुटुम्बयुतेनवमातभक्त यार्थ श्री...........बिम्ब प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं श्रीसागरगछे उदयसागरसूरिभिः बिम्ब सात...........देहरा पासे देरीमें बिम्ब १७ है । सागरमच्छे प्रतिष्ठित है। पोलमे वडता डाबे पासे मन्दिर है तिनरी विगत-- ॥ संवत १८६३ शाके १४५८ प्रवत्त माने माघमासे शुक्लपक्षे दशमीतिथौ बुधवासरे श्री अहम्मदावाद वास्तव्यः उसवालज्ञातीय वृद्धशाखायां सिसौदियावंशे कुकडलोलगोत्रे शेठ सा० खुशालचन्द तत्पुत्र शेठ वखतचन्द तत् भार्या जडावबाई तत्पुत्र शेठ अनोपभाई तत्पुत्र शेठ डाह्याभाई प्रमुखकुटुम्बेन स्वपिताभक्तिरागेन पुण्यार्थ श्रीकॅथुनाथबिम्ब कारापित प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं सागरगच्छे भ० शान्तिसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ बिम्ब १२ सर्व, मूलनायक। हेमावसीनी विगत मूलनायकमन्दिरमें संवत १६८३ ( १ १८८३) मिति ज्येष्ठवदि । श्रीशान्तिदासजी पुत्र वखतशाह तत्पुत्र खुशाल तत्पुत्र हेमाभाई श्रीअजितनाथबिम्ब कारापितं प्रति० श्रीशान्तिसागरसूरिभिः । सागरगच्छे । "Aho Shrut Gyanam"

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