Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 108
________________ ६२ [जैन धातु प्रतिमा लेख बालुचर शुभ स्थान ॥ दूगडगोत्र प्रधान ।। है ओसवंश शिरदार पुण्यवंत जगजश घणो ॥ प्रतापसिंह सुखकार ।। तिणके पुत्र सदा सुखी ॥ श्री ज(?ल)छमीपतिसिंह ॥ रायबहादुर यह धनी || श्री श्री-पुत्र धनपतिसिंह ।। चिरंजीव इण के सदा ॥ छत्रसिंह सुरतार ।। गनपत नरपतसिंह युत ॥ वरते जय जयकार ।। श्रावण शुद शुभ दिवसमें ।। कीनो उत्तम काम || ज (?ल) छमादतिनसिंहणे ।। तीरथ अद्भुतधाम !! म श्री श्रीसुखकार दर प्रगट्या "नगर बालूचर गौडीपार्श्वनाथमन्दिर मूलनायक की वेदी में इस प्रकार लेख खुदा है। ॥ श्री गोडीपार्श्वजिनबिम्बम् ॥संवत् १६३२ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल ११ चन्द्र जीर्णोद्धाररुप। विजयगच्छे श्रीपूज्य श्रीजिन शान्तिसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितम् स्थापितं च ॥ ३६८ सं० १९३८ आ० कृ० १३ इदम् श्री जिनकुशलसूरि चरणम् लूणिया गो० मुन्नालाल पुत्र हीरालाल प्रतिष्ठितम् श्रीजिनचन्द्रसूरिणां ।। ३६६ शुभ सम्वत् १६५२ का मिति माघ शुक्ल नवमी उपरान्त दशम्यां तिथौ भौम्यवासरे श्रीसम्मेतशिखर श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र चरण पादुकासमस्त श्रीसंवेन कारिता प्रतिष्ठिता हितवल्लभगणि भिः श्रीखरतरगच्छे श्रीमुर्शिदावाद बालोचरनगरे राय धनपतसिंह स्व वे (चेत्ये) प्रतिष्ठिता।। ३६८ खरतरगच्छीय बड़ामन्दिर तुलापट्टी कलकत्ता । ३६६ संमेद शिखर मधुवन "Aho Shrut Gyanam"

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