Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar
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जैन धातु प्रतिमा लेख
(१६५) संवत् १५१७ वर्ष फाल्गुण सुदि ३ शुके श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे गोवल सुत अ. नागसी भा० वमकू दे. रत्नाकेन भार्या गुरी सु० श्रे. सिंधरादिकुटुम्च्युतेन म तृपितृश्रेयसे श्रीसुमतिनाथविम्नं
पूर्णिमापो श्रीगुणसमुद्रस गणापट्ट गुणधीरस रीरमा मुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना।।
संवत् १५१८ भाषाढ़ गुण श्री भादा भा० भरभादे पुत्र श्रे. मेला भार्या भरणादि नाम्नाकुटुम्ब (यु) तया नत्यास्त श्रेयोर्थ श्री श्रीवासुपूज्यबिम्बं का० प्र० तपागच्छ लक्ष्मीसागरस रिभिः ।।
संवत् १५१८ वर्षे वैषाम्ब सुदि ३ शनी श्रीमालझातीय श्रे० गांगा भा० शागी सु० पितृवन भा० मचकू सुत सहवेन श्रीसुविधिनाथमि कारित पूर्णिमापक्षीय श्रीसाधुग्लसरिपट्टे श्रीसाधुसुन्दरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठित विधिना, जहना वास्तव्यः॥
संवत् १५१६ वर्षे वि (2) पारख वदि ११ शुके उपकेशज्ञातो मा देवा भातृ लहका पु० परवतेन भा० डाकी (? ही) पहितेन स्व यसे संत (भ) वनाथविंबं कारितं प्र० उपकेशग० ककुदाचार्यसंता (ने) श्रीककसूरिभिः॥
संवत् १५१६ वर्षे ज्येष्ठ शुदि १३ सोमे उपकेशज्ञातीय भंडारीगोत्रे सं० देवराज भार्या वल्हादे पुत्र ३ रत्नसिंह कान्हा जसराज पितरपूर्व जननि निमित्तं श्री नमिनाथविध का० श्री संडेरगर भ०सालिमूरिभिः
१६५ ओ पार्श्वनाथ जैन मन्दिर भद्रावती म. प्र.
१६७. गोड़ी पार्श्वनाथ जैनमंदिर पायधुनि धंबई १६८, महावीरस्वामी जैनमंदिर पायधुनि बंबई १६६. महावीरस्वामी जैनमंदिर पायधनि बंबई
"Aho Shrut Gyanam"

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