Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Kantisagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar
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३८
( १७० )
संवत् १५१६ वर्ष वैषाम् दि ११ भृगुरेत्यां प्राग्वाटज्ञातीय श्र े० सारंग भार्या सिरीयादे सुत नानाकेन भार्या जोगी कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री श्रेयांसबिंबं का०प० तथा श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ श्री वीसलनगरवासि ॥
( १०१ )
संवत् १५१६ वर्षे वैषाख सुदि ११ शुक्रे श्रीमालज्ञातीय पिना मुहता हाली पितामही खेती पितृ परबर मात्र रुडी सुत खेता राउलाभ्यां श्रीसुमतिनाथपंचतं श्रीविवं कारितं प्रतिष्ठितं पिपलगच्छे श्र गुणरत्नसूरिभिः ॥ चूडायामे ॥
जैन- धातु
( १७२ )
संवत् १५१६ वर्षे कार्तिक वदि ४ गुरु श्रीमालज्ञातीय मंत्री देवा भार्या सहि सुन वरजांगकेन भ्रातृ जेमा नरवद हाथा सहितेन पितृ मातृश्रयसे श्रीनाथादि चतुर्विंशनि कारित प्रतिष्ठितं श्रीश्रमाण गच्छे मुनिचंद्रसूरिपट्टे श्री वीरप्रभसूरिभिः ॥ मेंा दातव्यः ॥ श्रीशुभंभवतु ॥ श्री ॥
( १७३ )
सं० १५१६ वर्षे आषाढ़ यदि १ मंत्रोलीय श्रीकारणा गोत्रे ठ० भाधू भा० धर्मिणि पू० अचलदासेन पू० उग्रसेन लक्ष्मीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेन देवपाल वीरसेन पहिराजादियुतेन श्रीशान्तिनाथ देव का० श्री जिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः प्रतिष्टित ||
१७२. शांतिनाथ जैनमंदिर कोट बंबई
१७१. चिन्तामणि पार्श्वनाथमदिर गुलालवाड़ी बंबई १०२. खरतरगच्छी बड़ा मंदिर तूलापट्टी कलकत्ता
१७३.
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प्रतिमा लेख
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"Aho Shrut Gyanam"

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