Book Title: Jain Dharm Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani

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Page 10
________________ ( ४ ) मल्लिनाथ के हजारों वर्ष पीछे मुनिसुव्रतनाथ तीर्थङ्कर का अवतार हुना। इनके जमाने में रामचन्द्र, लक्ष्मण, रावण, विभीषण आदि हुए जिनका सीता के कारण युद्ध संसार में प्रसिद्ध है। फिर हजारों वर्ष पीछे नमिनाथ तीर्थकर हुए। उनके पीछे भगवान नेमिनाथ का अवतार समुद्र विजय राजा के घर हुश्रा । भगवान नेमिनाथ कृष्ण बलभद्र के चचेरे भाई थे। इनके समय में महाभारत का युद्ध हुआ था। इनके पीछे भगवान पार्श्वनाथ का अवतार हुश्रा । उनके मुक्त होने से २५: वर्ष पीछे अन्तिम (चौबीसवें) तीर्थक्कर भगवान महावीर का अवतार राजा सिद्धार्थ के घर आज से लगभग २५३२ वर्ष पहले हुआ । इन्होंने मो बहुत विशाल रूप से जैन धर्म का प्रचार किया और जन्म से ७२ वर्ष पीछे मुक्त हो गये। भगवान महावीर स्वामी के समय में और उससे भी पहले ऋषभ देव, पार्श्वनाथ आदि तीर्थङ्करों की मूर्ति पूजी जाती थीं। ऐसा बहुत पुराने शिला लेखों से सिद्ध होता है। भगवान महावीर स्वामी के पीछे उनके अनुयायी, साधु, प्राचार्य, राजा, महाराजाओं ने जैन धर्म का प्रचार किया। सम्राट चन्द्रगुप्त भद्रबाहु आचार्य का भक्त शिष्य था। चन्द्रगुप्त के समय में १२ वर्ष का भारी अकाल पड़ा था। तब जैन सम्प्रदाय के दिगम्बर, श्वेताम्बर ये दो टुकड़े हो गये । दिगम्बर सम्प्रदाय के साधु बिना कपड़ा पहने पहले के समान ना रहकर तपस्या करते थे और अब तक इसी प्रकार रहते आये

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