Book Title: Jain Dharm Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani

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Page 49
________________ 8-सत्यार्थदर्पण लेखक-श्री पं० अजितकुमार जी, मुलतान । हमारे यहाँ से यह पुस्तक दूसरी वार आवश्यक परिवर्तन करके ३५० पृष्ठों में छापी गई है। इसमें सत्यार्थप्रकाश के १२वें समुल्लास का भली प्रकार खण्डन किया गया है। प्रचार करने योग्य है। लागत मात्र मूल्य ॥) १०-आर्यसमाज के १०० प्रश्नों का उत्तर ! लेखक-श्री पं० अजितकुमार जी, मुलतान । विषय नाम से प्रकट है । पृष्ठ संख्या १०० । मूल्य ) ११-क्या वेद भगवद्वाणो है ? लेखक-श्रीयुत् सोऽहं शर्मा। विषय नाम से प्रकट है। पुस्तक पढ़ने एवं विचार करने योग्य है । मूल्य -) १२-आर्यसमाज की डबल गप्पाष्टक ! लखक-पं० अजितकुमार जी, मुलतान ( पंजाब )। विषय नाम से प्रगट है । मूल्य -) १३-दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि लेखक-बा० कामताप्रसाद जी, अलीगंज (एटा)। इस पुस्तक में दिगम्बर मुनियों के स्वरूप के साथ ही साथ उनके दिगम्बरत्व को शिलालेख, शाही फर्मान और विदेशी यात्रियों तथा विद्वानों के उल्लेख आदि ऐतिहासिक दृढ़ प्रमाणों द्वारा अनादि सिद्ध किया है। दिगम्बर मुनियों के स्वरूप और उनके आदर्श

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