Book Title: Jain Dharm Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani

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Page 51
________________ ( ४५ ) है। हरेक जैन व अजैन के पढ़ने योग्य है, पृष्ठ संख्या पौने दो सौ के करीब है। मूल्य केवल ॥) १६-शास्त्रार्थ पानीपत भाग २ यह पुस्तक उक्त शास्त्रार्थ का दूसरा भाग है। इसका विषय "क्या जैन तीर्थकर सर्वज्ञ थे" है । हर एक जैन व अजैन के पढ़ने योग्य है। पृष्ठ संख्या २०० के करीब है। मूल्य 12) पुस्तकें मिलने का पताःमैनेजर-श्री दिगम्बर जैन शास्त्रार्थ संघ, सदर बाजार, अम्बाला छावनी।

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