Book Title: Jain Dharm Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ ( ४२ ) ५-अहिंसा इसके लेखक पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री धर्माध्यापक स्याद्वाद विद्यालय काशी हैं। लेखक ने बड़ी ही योग्यता से जैनधर्म के अहिंसा सिद्धान्त को समझाते हुए उन आक्षेपों का उत्तर दिया है जो कि विधर्मियों को तरफ से जैनियों पर होते हैं। पृष्ट संख्या ५२ । मूल्य केवल -)॥ ६-श्रीऋषभदेव जी की उत्पत्सि असंभव नहीं है इसके लेखक बा० कामताप्रसाद जैन अलीगंज (एटा) हैं। यह आर्यसमाजियों के “ ऋषभदेवजी की उत्पत्ति असम्भव है " ट्रैक का उत्तर है। पृष्ठ संख्या ८४ मूल्य ।) ७-वेद-समालोचना इसके लेखक पं० राजेन्द्रकुमार जी न्यायतीर्थ हैं । लेखक ने इस पुस्तक में, अशरीरी होने से ईश्वर वेदों को नहीं बना सकता, वेदों में असम्भव बातों का, परस्पर विरुद्ध बातों का, अश्लील, हिंसा विधान, मॉस-भक्षण समर्थन, असम्बद्ध कथन, इतिहास, व्यर्थ प्रार्थनाएं और ईश्वर का अन्य पुरुष से ग्रहण आदि कथन है; आदि विषयों पर गम्भीर विवेचन किया है। पृष्ठ संख्या १२४ मू० केवल ।) -आर्यसमाजियों की गप्पाष्टक लेखक श्री पं० अजितकुमार जी, मुल्तान । विषय नाम से प्रगट है। मु०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53