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(८) पाई जाती है । जैसे-श्रादमी, हाथी, घोड़ा, बैल, साँप, कबूतर, चूहा आदि।
दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय और पाँच इन्दिय जीव बस कहलाते हैं इन जीवों के शरीर में खून, हड्डी, मांस होता है।
एकेन्द्रिय से लेकर चार इन्द्रिय तक के जीवों के मन नहीं होता है। इस कारण वे कोई शिक्षा. क्रिया आदि सिखलाने से नहीं सीख सकते । पाँच इन्द्रिय जीवों में दोनों तरह के जीव होते हैं। कुछ एक जीवों के मन नहीं होता है किन्तु शेष प्रायः सभी के मन पाया जाता है। इसी कारण उनको यदि कोई शिक्षा दी जावे, कोई काम सिखलाया जावे तो अपनी शक्ति अनुसार सीख जाते हैं। ___इन जीवों में से एकेन्द्रिय से चार इन्द्रिय तक के तो सभी जीव तिर्यश्च यानी पशु गति वाले कहे जाते हैं। पंचेन्द्रिय जीवों में गाय, घोड़ा, साँप, कबूतर आदि पशु पशुगति के जीव हैं। मनुष्य शरीर वाले स्त्री-पुरुष मनुष्यगति के जीव हैं। नरकों में रहने वाले नारकी जीव नरक गति के जीव हैं और देव-शरीर में मौजूद जीव देवगति के जोव कहे जाते हैं।
अजीक।
अजीव पदार्थ के मूल दो प्रकार हैं-एक तो वह जिसमें रस, गंध, *ग, ठंडक, गर्मी प्रादि पाई जाती है। जो देखने में, सूचने में, चखने में और छूने में आता या आ सकता है। इस