Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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જૈન કોસ્મોલોજી,
..............................................पा|शष्ट-१
ક્રમ
३४
३७
४२
ગ્રંથનું નામ
શ્લોકસંખ્યા
ગ્રંથકર્તાનું નામ श्री द्वादश-भावना
| प.पू.श्री अज्ञात कर्तृ श्री लोकनालिका द्वात्रिंशिका ३२ पू. पू. आ. श्री धर्मघोषसूरिजी म.सा. श्री त्रैलोक्यदीपिका
| प.पू. भाष्यकार श्री जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण श्री समवायांगसूत्र (टीका)
३,५७५ | प. पू. नवां. टीका.आ.अभयदेवसूरिजी म. सा. श्री प्रज्ञापनासूत्र
४,४५४ प.पू. आ. श्री श्यामाचार्यजी म.सा. श्री सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र (वृत्ति)
९,५०० | प.पू.आ. श्री मलयगिरिसूरिजी म.सा. श्री नंदीसूत्र ( वृत्ति)
७,७३२ | प. पू. आ. श्री मलयगिरिसूरिजी म.सा. श्री नंदी चूर्णि
१,५०० | प. पू. श्री जिनदासगणि क्षमाश्रमण श्री विशेषावश्यकभाष्य शिष्यहिता टीका २८,०००। | प. पू. मलधारी आ. श्री हेमचंद्रसूरिजी म.सा. श्री क्षेत्रलोकप्रकाश
प.पू. महो.श्री विनयविजयजी म.सा. श्रीमंडल प्रकरणम्
| १०३ | प.पू. मुनि श्री विनयकुशलजी म.सा. श्री जीवाजीवाभिगमसूत्र | ४,७५० | प.पू. श्री श्रुतकेवली भगवंतश्री श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (वृत्ति) १८,००० | प.पू.आ.श्री मलयगिरिसूरिजी म.सा. श्री लोकनालिका-स्तव श्रीज्योतिषकरंडक
| प.पू.आ.श्री पादलिप्तसूरिजी म.सा. श्री देवेन्द्रस्तव पयन्ना
प. पू. श्री ऋषिपालितजी... श्री जैनतत्त्वसार
५४७ प.पू. महो.श्री सुरचन्द्रगणि म.सा. श्री उत्तराध्ययनसूत्र
२,००० प.पू. श्री प्रत्येकबुद्धादि... श्री नवतत्त्व प्रकरणम्
१३० प. पू.आ. देवेन्द्रसूरिजी म.सा. श्री काललोकप्रकाश
| प. पू. महो. श्री विनयविजयजी म. सा. श्री क्षुल्लकभवावलि
| प.पू. मुनि श्री धर्मशेखरगणि म.सा. श्रीअनुयोगद्वारसूत्र
२,००० प. पू. आ. श्री आर्यरक्षितसूरिजी म.सा. श्रीगणितसंग्रह
८ अध्याय | प.पू. आ. श्री महावीराचार्यजी श्री बृहत्संग्रहणी
३४९ | प.पू. श्री जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण म.सा. श्री देवेन्द्रनरकेन्द्रप्रकरणम्
३७८ | प. पू. श्री अज्ञातकर्तृ श्री तत्त्वार्थसूत्र
१० अध्याय | प.पू. श्री उमास्वातिजी म. सा. श्रीजीवसमास भवभावना
५३१ प.पू. मलधारी श्री हेमचंद्रसूरिजी म.सा. | श्री सिद्धांतसारोद्धार
| २१३ | प.पू. आ. श्री चक्रेश्वरसूरिजी म.सा.
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