Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 520
________________ જૈન કોસ્મોલોજી ४६ Jain Education International जेन लोक जिनमा झापाले श्रीनिमग्न बोधगावाट २०पोरगी गमरेसा मी को महजार २०० दायरे ॥ परबतन निराधार मग हे जागे है: गाभट मोमाजी की अतमा-वामी हा घ१८ ढो राध के मनकीय जो करनाल. १२३ ते२स मात है। ऐसा हम जात्राकीनी हा हम तत्र रंग नामान गर है। तिलेत जा. बरो के को से बारे है उस तलाव के बीच कोस एक कोमल उमंगलमेवेा व्यार है मु य है। प्रतिमा रेक देहरा में प्रजतनाभजी की है. बाजी सुधधमार देवी दाघ १२ बारे की है फिक्र की है उस रामनामदिनाका बोडी हाथ शोदोट की है। उ-वी हा धमार है। सोअतमा वाचे दल की है। सरीजनमा देहरा४ मा रमे बहोत है। हमना स्वद कर गए। मे से हाउस की हासे हम बलात मात्र लिंगपुर नेग रहे। जहां वन में जैन का देहरा बोहत है।२५ पवास बन है। ति प्रदेश राजतिमा १ रोके कसोटी को है हा हा साठा तीन चौड़ी है। बहोत मना है कुमारजारा है। हो से हम गु-बजे को स१०० सोगरे।। तिहां तिल छोटी काल के है। ति होमियासुर मासाकीमा तिहारे लोकाबन२. कालो मस्वा का है। लिहता है उस परजैन का देहरा है। 43तिपन है बजे जोगतिमा हरा मे मतिमान होत है। बोआ काल से मान है। रा. मोजोग अहो दर से करवले सोकरेगा कलाका जैन बिनासरी बातन राजान्जेन करणादक देस का सेहर है सो से हर विने एक जालमा मेरी सागरंग कर तिमी है। जसमा २५०जार है। दुसरीत मा ५२॥ एक वन है। तिस के विचार कर लिया है। जनमारिकन सरगी ये का है। को नारे के समान कोमा २१३ ग्यारे मेरती का है। मानयाम्माकी है। अनमा १ऐ को काम सातपुवराज का है। मो दष्ट की हमार४- नम देसा विरतने की है। सोबा मन अनतमा २० दसदी क ४-मार कर। इसी अम्मा-सारीर हो तो मनोज मंमा। समये ऐका बम रेसमा बहोत है इस वीज For Private & Personal Use Only પરિશિષ્ટ-૨ www.jainelibrary.org

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