Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 497
________________ જૈન કોસ્મોલોજી ल २राम्र ३४२ ४२१९९२५ 143 ५३२५० सवाल २१५ 9 1933 २ Tateye arese 140 २१२ t २००२४२४८२ मान Jain Education International २१३ बारमदेवय RYNNE र निरवनंत मे स २२ २९२ विनक ஆள் स न उहारवा म ३1३६ २०५० 22395 100 315395 Rast PEO 31150 १००० र Cu seus १६०००८ G स ०३०५०० 複 १३२३३३२ १९६ २५ या मर वि खढीद्वीप... नार्थिहनियादीमध्य दिशतः २६६शिनः પરિશિષ્ટ - ૨ निः रगिरिमा णी सीइंनि साईनिसह गादीनां संस्थानादिमाह ॥ जब लगाई वा र लीनाली मे दाहिर गर्दा च दीदी] सहस्सा याली ससहस्सा 'उपवासहियांस यान्ति ४गा मोजमलरका सांसद दी ४५ ॥ शेषनदीनां वैतादीनां मालमा कु॥ सांपो For Private & Personal Use Only ૪૫૩ www.jainelibrary.org

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