Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 507
________________ જૈન કોસ્મોલોજી VAKAVATO ecedene राज्याविनोना विंशतितमः सर्गः ॥ | जीयाचेश्वर स्वामीगो) |स्वामीनो दिगावोस्पो लेक पिचरुः कुरमन स मितः सचाई नागास Jain Education International MHTCE SCHHA भ००००० पुरु राहाय‍ साकाक खढीद्वीपमा रहेल सूर्य-चंद्राहि... CRE पर्याप codaOd03) 2003 सूर्य सूर्य सूर्य सूर्य ५ २६ २१ द ४०००००पो० १० पूर्वः ।। For Private & Personal Use Only तारा सुविता मा नारा પરિશિષ્ટ - ૨ ne sins दक्षण पश्चिम तुमय पादन रिएगसगि को आकाडी सन्नेतरं मने शिरक त्रीघावतया किनि अप्र माता किन्नु रा ४६३ www.jainelibrary.org

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