Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 495
________________ જૈન કોસ્મોલોજી ➖➖➖ त्य ऐ इमजप बिमसमुद्रमादि एकदाढा गिबें बीजी दाटवाया गई एदा डाच्यार हिमवंतपर्वननी विदी सिनेंनी कली बें एकेकीविदिसे एकेकी दाढऊ परेंसातसा तयुग लियाना क्षेत्र तेनें अंतरखीपक दी ई दिवे व्यारेईविदिसिना पहिला क्षेत्र गार जगतीथकीत्रि लिसे जोजनवेगलाबें तथा यदि लोच्यारां क्षेत्रांथी सो एजोजने बीजाच्यार क्षेत्र बें एतले बीजाच्चार क्षेत्रजगती थी प्यार से जो जन वेगला | इमबीजा क्षेत्र थी। तीजासो जोजन इम क्षेत्रे २सोसो जोजनवधारी | मादिमादि जगती कीजे क्षेत्र जेनले वेगलुबे क्षेत्रनु तेतलो विस्तारजारणवै। एतले जगतियकी पहिलो क्षेत्र चक्क त्रिणिसे जोजनवेग वासमुद्रमां पर अंतद्वय... Jain Education International मोम्पाको दशकमा राम मलिका या माशा जनबाद स्पा निर्दिशमक को शामिल जिस विजन शने के उपाय तिदि एस्यायाम शिकं याजना नीर उद्या प्रपात ॐ उस्स्ना मालवन स्वस्वरूपाये गंगासमेारे:31 वन पश्चिमंतःल सत्य किन निर्गन)। उदर जयं माहूतिः ऐा कोराक सदर निकामी शिरिपर्वन अन पूर्वपद संतरी. पर्वतीय भी गोद जलस टिम्क પરિશિષ્ટ - ૨ न्याम युग्मा दादाय For Private & Personal Use Only रयोवि व्यकि लाज २३ दशमः साई मेमो जनानंगला गरिदिन ૪૫૧ www.jainelibrary.org

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