Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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જૈન કોસ્મોલોજી
પરિશિષ્ટ-૧ (१) जीवा मुत्ता संसारिणो य, तस थावरा य संसारी । पुढवी जल जलण वाऊ, वणस्सई थावरा नेया॥
(जीवविचार-२) (२) एगिदियपंचविहा पत्तेयं सुहुमबायरा नेया । बायर दिट्ठीगम्मा, सुहुमा पुण सव्वलोयम्मि ॥
(पदार्थस्थापनासंग्रह-५) (८०) छ:डाय वोनी सभष... (भनुष्य-हेव-नारठी) (१) उक्तं च - भरहाई विदेहाई एरव्वयाइं च पंच पत्तेयं । भण्णंति कम्मभूमिओ धम्म जोगाउ पन्नरस... ॥१०५३।।
(श्री प्रवचनसारोद्धार सूत्रम्...) ॥ प. कति णं भंते । कम्मभूमिओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! पण्णरसकम्मभूमिओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पंच भरहाई, पंच एरवयाई, पंच महाविदेहाई... ।
(श्री भगवती सूत्र/श.२०/उ.८/सूत्र-१) us जंबूद्दीवे दीवे तओ कम्मभूमीओ पण्णत्ताओ, तं जहा (१) भरहे (२) एरवए (३) महाविदेहे । एवं धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धे + एवं धायइसंडे दीवे पच्चत्थिमद्धे । एवं पुक्खरदीवड्डपुरस्थिमद्धे एवं पुक्खरवरदीवड्ड पच्चत्थिमद्धे...॥
(श्री स्थानांग-३/उ.३/सूत्र-१८३) (२) हेमवयं हरिवासं देवकुरु तह य उत्तरकुरुवि । रम्मयं एरण्णवयं इय छन्भूमिओ पंचगुणा ॥१,०५४॥ एया अकम्मभूमिओ तीस सया जुयलधम्मजयठाणं । दसविहकप्पमहद्दुमसमुत्थभोगा पसिद्धाओ ॥१,०५५।।
(श्री प्रवचनसारोद्धार सूत्रम्) is प. कति णं भंते । अकम्मभूमीओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तीस अकम्मभूमीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पंच हेमवयाइं, पंच हेरण्णवयाई, पंच हरिवासाइं, पंच रम्मगवासाइं, पंच देवकुराओ, पंच उत्तरकुराओ॥
(श्री भगवती सूत्र/श.२/उ.८/सूत्र-१) जंबुद्दीवे दीवे छ अकम्मभूमीओ पण्णत्ताओ, तं जहा – (१) हेमवए (२) हेरण्णवए (३) हरिवासे (४) रम्मगवासे (५) देवकुरा (६) उत्तरकुरा....।। एवं घायइसंडे दीवे पुरत्थिमद्धे णं छ अकम्मभूमिओ पण्णत्ताओ, तं जहा-हेमवए जाव उत्तरकुरा... ॥ एवं घायइसंडे दीवे पच्चत्थिमद्धे णं छ अकम्मभूमिओ पण्णत्ताओ, तं जहा-हेमवए जाव उत्तरकुरा... ॥ एवं पुक्खरवरदीवड्डे पुरत्थिमद्धे णं छ अकम्मभूमिओ पण्णत्ताओ, तं जहा-हेमवए जाव उत्तरकुरा... ॥ एवं पुक्खरवरदीवड्डे पुरथिमद्धे णं छ अकम्मभूमिओ पण्णत्ताओ, तं जहा-हेमवए जाव उत्तरकुरा... ।
(श्री स्थानांग-६/सूत्र-५२२) (८२) निगोहना गोणानुं स्व३५... (१) गोला य असंखिज्जा, अस्संखनिगोअओ हवइ गोलो । एक्केक्कम्मि निगोए अणंतजीवा मुणेयव्वा ।। (त्रैलोक्यदीपिका-४५६ ) + ( पदार्थसथापनासंग्रह-६१)
- ४०७)
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