Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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विभ्याहि हेवोनी राधानी ने वन स्थापना...
GRAD RUNDO
विजयाराजे नीवनस्थापना
निर्जरविष्टितादिशस्वना ॥ मध्येघास्यास् ज्धान्त मिलगमाना हरे। जांबूनदमयः पाव घरे विराजते। योजनाना ज्ञाता नरेषा दशा विस्वतः कोशा होम डुरः एभावका नाटितः ६ सोपान काम के की हारे चारुविराजते। मीम ताररगना तदिचत स्ट६५ मध्ये म्नपाव धमितगस्तिव र महा निस्तन) यम यः श्रासाद शेरद २६६॥ याजनान्याधिका निससमुत्रतः चत्वस्पा ईमानेनानवत्पा येतदि ततस्य प्रासादम्पमध्ये महतामणि पाि माहिग करत बादल्या जनविताना स्पामपि विकायामध्ये मिदास ने मदर जयदेवा सामानिकादिकामाने ॥६ सिंहासना हाताशनि दिशमा सम्मानको नाचत्वारिसहरु सना निमग्रम
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જૈન કોસ્મોલોજી
પરિશિષ્ટ - ૨
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