Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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જૈન કોસ્મોલોજી
परिशिष्ट-२
२१५ पशिल बनवरदेव सर्व घर उपासक
जवानी २१७ नषक
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गणिति नपरमशमिनार्य उदयनवाले हिस्स मरपिकाउनबनेप/apna मनर यकीयrasanारकादिमा विपीलिबा उपरोपनिषदमम विबेलामा बनानानिवजवाब ant कोनविलालपासालयोमरस २मानने लगा हलवतासनीलिवकास लकलमकat इसमें विकलामूलाउमसरममा तवणमिसमाasa गावे ३-लवलम मुटनरक कामाला जमायामाल मराganganawwोनी ममत्तागरिक समा३यकलने की समस्याकाम रिमिवाश्यानाकममध्याकारवजारका सामना गली विरेनसेश्मRESha
वक्रमसिउदिसउयायालावस्कलसवाणा जायणपत गाहमयुगाह REET माने या नकला मा एकलापोजननिमाधिमा पूर्वविसि व रवानुषा KaRamang परमादक पेयजलाप azाविसका
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बनेपासनलमारकमान
भूद्वीप सह लवाशसमुद्र तथा तेभां रहेल पातालटलशाहि...
नागभयान दयमतदव । पर्वत
कजादीप देन
लवर पतमाप
जैव पजाति वाजली
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२००० Delu
५००० मेजन
न्याय मामथ
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४४७
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