Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 419
________________ જૈિન કોસ્મોલોજી_ परिशिष्ट-१ (२८) शूद्वीधना ६ वर्षधर (हुलगिरि) पर्वतो... (१) हिमवंत महाहिमवंत, पव्वया निसढनीलवंता य । रुप्पी सिहरी एए, वासहरगिरि मुणेयव्वा... ॥२४॥ (श्री बृहत्क्षेत्रसमास/भाग-१) s जंबूदीवे दीवे छ वासहरपव्वता पन्नत्ता, तंजहा-चुलहिमवंते, महाहिमवंते, निसढे, नीलवंते, रुप्पी, सिहरी । (ठाणांग सूत्र / अध्ययन-६ / सूत्र-५२२) (२) भरहेरवयप्पभिई, दुगुणा दुगुणो उ होइ विक्खंभो । वासावासहराणं, जाव य वासं विदेह त्ति... ॥२७॥ (श्री बृहत्क्षेत्रसमास/भाग-१) क्षद्वीपना ६ भाद्रह... (१) पउमे य महापउमे, तिगिच्छि केसरी दहे चेव । हरए महापुंडरिए, पुंडरिए चेव य दहाओ ॥१६८ ॥ (२) जोअण-सहस्स दीहा, बाहिरहरया तयद्ध विच्छिन्ना । दो दो अभितरया, दुगुणा दुगुणप्पमाणेणं ॥१६९॥ (३) एएसु सुरवहूओ, वसंति पलिओवमठिईयाओ। सिरि हिरि धिइ कित्तीओ, बुद्धी लच्छी सनामाओ ॥१७०॥ (४) गंगासिंधु तह रोहियंसरोहियनई य हरिकंता । हरिसलिला सीओया, सत्तेया हुंति दाहिणाओ ॥१७१।। सीया य नारिकंता, नरकंता चेव रुप्पिकूला य । सलिला सुवण्णकूला, रत्तवई रत्त उत्तराओ... ॥१७२॥ (श्री बृहत्क्षेत्रसमास/भाग-१) (२८) द्रहवीना भूण भण- वार्शन... (१) यत्तु जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिमूलसूत्रे... "जम्बूद्दीवजगइप्पमाणा" इत्युक्तं तज्जलावगाहप्रमाणमविवक्षित्वा इति तदवृत्तौ... ॥ (२) अत्रायं विशेषोऽस्ति - बृहत्क्षेत्रविचारवृत्यादौ बाह्यानि चत्वारि पत्राणि वैडुर्यमायानि शेषानि रक्तसुवर्णमयान्युक्तानि । किं च जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे जाम्बूनदमीषद्रक्तस्वर्ण तन्मयान्यभ्यन्तरपत्राणि इत्युक्तम् ॥ सिरिनिलयमितिक्षेत्रविचारवृत्तौ तु पीतस्वर्णम् - यान्युक्तानि इति ॥ द्रहोभां स्थित भणोनी संज्या अने भाषाधि... (१) हिमवंतसेलसिहरे, वरारविंदद्दहो सलिलपुन्नो । दसजोयणावगाढो, विच्छिन्नो दाहिणुत्तरओ... ॥१९६।। पउमद्दहस्स मज्झे, चउकोशायामविच्छरं पउमं । तं तिगुणं सविसेसं, परिही दो कोसबाहल्लं ।।१९७॥ दसजोयणावगाढं, दो कोसे ऊसियं जलंताओ । वइरामयमूलागं, कंदोऽवि य तस्स रिद्धमओ ॥१९८ ॥ वेरुलियमओ नालो, बाहिपत्ता य तस्स तवणिज्जा । जंबूनयामया पुण, पत्ता अब्भितरा तस्स ॥१९९॥ सव्वकणगामई कण्णिगा य तवणिज्ज केसरा भणिया। तीसे य कण्णिगाए, दो कोसायाम विक्खंभा ।।२००।। - 394) 394 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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