Book Title: Jain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Author(s): Charitraratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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જૈન કોસ્મોલોજી
-...........................................पाशशट-2 (४) (१)चुडामणिमउडरयणा (२) भूसण-णागफण (३) गरुल (४) वइर (५) पुण्णकलसपिउप्फेस (६) सीह (७) गयवर (८) गयअंक (९) मगर (१०) वद्धमाण - निज्जुत चित्तचिंधगता ।।
__ (पण्णवणा सूत्र/पद-२/सूत्र-१७७) (५) काला-असुरकुमारा, णागा उदहि य पंडुरा दो वि । वरकणगणिहसगोरा, होति सुवण्णा दिसा थणिया ॥१४६।। उत्तत्तकणगवण्णा, विज्जु अग्गि य होति दीवा य । सामा पियंगुवण्णा, वाउकुमारा मुणेयव्वा ॥१४७॥ (६) असुरेसु होति रत्ता, सिलिंदा पुष्फपभा य नागुदहि। आसासग वसणधरा, होति सुवण्णा दिसा थणिया ॥१४८।। णीलाणुरागवसणा, विज्जु अग्गि य होंति दीवा य । संझाणुरागवसणा, वाउकुमारा मुणेयव्वा ॥१४९॥
(पण्णवणा सूत्र/पद-२ / सूत्र-१८७) (१८) १५ प्रडारना परभाधाभी देवो ... (१) अंबे अंबरिसी चेव, सामे य सबलेइ य । रुद्दो वरुद्द काले य, महाकालि त्ति आवरे । __ असिपत्ते धणू कुंभे वालु वेयरणी इय । खरस्सरे महाधोसे, पन्नरस परमाहम्मिया ॥
(सूयगडांग सूत्र / अध्ययन-५ / उद्देशो-१) + (प्रवचन सारोद्धार-१,०८५/१,०८६) us आराइएहिं विधंति मोग्गराईहिं तह निसुंभंति । घाडंति अंबरयले मुंचंति य नारए अंबा ॥१०॥ निहए य तह निसन्ने ओहयचित्ते विचित्तखंडेहिं । कंप्पंति कप्पणीहिं अंबरिसी तत्थ नेरइए ॥१०४|| साडण पाडण तोत्रयविधय तह रज्जुतलपहारेहिं । सामा नेरइयाणं कुणंति तिव्वाओ वियणाओ ॥१०५।। सबला नेरइयाणं उयराओ तह य हिययमज्झाओ । कटुंति अतवसमंसफिप्फिसे छेदिउं बहुसो ॥१०६॥ छिंदति असीहिं तिसूलसूलसूईसत्तिकुंततुमरेसु । पोयंति चियासु दहंति निद्दयं नारए रुद्दा । १०७।। भंजंति अंगुवंगाणि ऊरु बाहू सिराणि करचरणे । कप्पंति खंडखंडं उवरुद्दा निरयवासीणं ॥१०८ ॥ मीरासु सुंढिएसुं कंडूसु य पयणगेसु कुम्भीसु । लोहिसु य पलवंते पयंति काला उ नेरइए ॥१०९।। छेत्तूण सीहपुच्छागिईणि तह कागणिप्पमाणाणि । खावंति मंसखंडाणि नारए तत्थ महकाला ॥११०॥ हत्थे पाए ऊरु बाहु सिरा तह य अंगुवंगाणि । छिंदति असी असिमाइएहिं निच्चं पि निरयाणं ॥१११।। पत्तधणुनिरयपाला असिपत्तवणं विउव्वियं काउं। दंसंति तत्थ छायाहिलासिणो जंति नेरइया ॥११२।। तो पवणचलित-तरुनिवडिएहिं असिमाइएहि किर तेसिं । कण्णो?नासकर चरणऊरुमाइणि छिंदति ॥११३।। कुंभेसु पयगणेसु सुंठेसु य कंदुलोहिकुम्भीसु । कुम्भीओ नारए उक्कलंततेल्लाइसु तलंति ॥११४|| तडयडरवफुट्टते चणयव्व कयंबवालुया नियरे । भुंजंति नारए तह वालुयनामा निरयपाला ॥११५।। वसूपूयरुहिरकेसविवाहिणि कलयलंतजउसोत्तं । वेयरणिं नाम नइं अइखारुसिणं विइव्वेउं ॥११६।। वेयरणि नरयपाला तत्थ पवाहंति नारए दुहिए । आरोवंति तहिं पिहु तत्ताए लोहनावाए ॥११७॥ नेरइए चेव परोप्परं पि परसुहिं तच्छयंति दढं । करवेत्तेहिं य फाडंति निद्दयं मज्झमज्झेण ॥११८ ।। वियराल वज्जकंय्यभीममहासिबंलीसु य खिवंति । पलवंते खरसदं खरस्सरा निरयपाल त्ति ॥११९।।
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