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विध्वंस करके यत्र अघशिव-कामिनी प्रभुने वरी। क्या न कहलायी जगतकी सुरपुरी चम्पापुरी, किस बातमें यों कम रही थी पूर्वमें पावापुरी ?
श्रीबीनाजी अतिशयक्षेत्र । श्रीक्षेत्र अतिशय रम्य है शुभ ग्राम बीना अतिमहा,
प्रति वर्ष मेला होत हैं, यात्री बहुत आते वहां । प्राचीन मन्दिर तीन हैं अतिही विशाल सुहावने, श्रीशांति प्रभुकी भव्य मूर्तिके दरश सुख पावने ।
केशरियाजी। मेवाड़ प्रान्तरगत बिराजित श्रीकेशरिया क्षेत्र है, श्रीआदि प्रभुकी भव्यमूर्ति दर्श सुखके हेतु हैं। अखिल भारतवर्ष में यह क्षेत्र अति विख्यात है, बतला रहे हैं लेख भी प्राची दिगंबर ख्यात है।
गृहस्थाश्रममें। स्वाध्याय, पूजा, दान, तप, संयम गृहस्थी-कृत्य थे, कर्तव्य अपना मानकर उनमें सभी अनुरक्त थे। उपकारका जो पाठ हमने बाल्य-जीवनमें पढ़ा, १ चम्पापुरीसे वासुपूज्य, पावापुरीसे महावीर मोक्ष पधारे हैं।