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बन रहा हूँ । इस विचारधारा में मुझे आस्था और गौरव हैं । उस स्थिति तक कैसे पहुँचा जा सकता है ? उसके उपाय भी हमारे दर्शन में बताये हैं :- सत्य बोलना चाहिए, घन के प्रति ममत्व नहीं रखना चाहिए, हिंसा नहीं करनी चाहिए, आदि । इतने उच्च आदर्श शायद ही दूसरी जगह पर देखने को मिले ।
जैन धर्म क्या है ?
सत्य तो यह है कि जैन धर्म एक धर्म नहीं अपितु जीवन जीने की कला है जिसका आचरण करने से मानव इसी जन्म में उच्च आध्यात्मिक स्थिति को प्राप्त कर सकता है ।
क्या जैन धर्म में धन-संचय न करने को कहा गया है ? नहीं, उसमें कहा गया है कि निश्चित मर्यादा से अधिक धनसम्पत्ति नहीं रखनी चाहिए ।
क्या आपने उसका व्रत लिया है ?
नहीं, किन्तु स्वयं प्राप्त धन का कुछ हिस्सा सार्वजनिक कल्याण के लिए खर्च करने का मेरा नियम है |
दिनांक ८ जनवरी १९८० को कस्तूरभाई बम्बई में बीमार पडे, डॉक्टर ने उनके स्वास्थ्य को देखकर पन्द्रह दिन बिस्तर में ही आराम करने की सलाह दी । किन्तु कस्तूरभाई ने कहा मुझे अहमदाबाद ले चलो मैं वहीं आराम करूँगा । डॉक्टर ने प्रत्रास नहीं करने की सलाह दी किन्तु कस्तूरभाई के मन में अहमदाबाद के प्रति ऐसी आत्मीयता थी कि उन्होंने अपने अंतिम दिन अहमदाबाद में ही बिताने की तीव्र इच्छा व्यक्त की । उनको बेचैन देखकर डॉक्टर ने अंत में अहमदाबाद जाने की सम्मति दी । वेदना होने पर भी कस्तूरभाई के मुख पर आनन्द छा गया । एम्ब्यूलेन्स वान द्वारा स्टेशन लाए गये ।
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