Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran
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________________ सोलंकी वंश के राजाओं ने 276 वर्ष तक राज्य किया, बाद में पाटण का राज बाघल-वंश के हस्तगत हुआ। उन्होंने विक्रम सं. 1358 तक कुल 84 वर्ष राज्य किया, फिर पाटण की प्रभुता आर्यों के हाथों से मुसलमानों के अधिकार में चली गई। 1. इसी प्रकार पं. गौरीशंकरजी ओझा ने स्वरचित 'सिरोही राज के इतिहास' में लिखा है कि पाटण में राजा ‘दुर्लभ का राज वि. सं. 1066 से 1078 तक रहा' बाद में राजा भीम देव पाटण का राजा हुआ। 2. पं. विश्वश्वरनाथ रेउ ने 'भारतवर्ष का प्राचीन राजवंश' नामक किताब में लिखा है कि पाटण में राजा दुर्लभ का राज 1066 से 1078 तक रहा। 3. गुर्जरवंश भूपावली में लिखा है कि पाटण में राजा दुर्लभ का राज वि. सं. 1078 तक रहा। 4. आचार्य मेरुतुंग रचित 'प्रबन्ध चिन्तामणि' नामक ग्रंथ में भी लिखा है कि पाटण में राजा दुर्लभ का राज वि. सं. 1066 से 1078 तक रहा। इत्यादि इस विषय में अनेक प्रमाण विद्यमान हैं पर ग्रंथ बढ़ जाने के भय से नमूने के तौर पर उपरोक्त प्रमाण लिख दिए हैं, इन प्रमाणों से स्पष्ट सिद्ध हो गया है कि पाटण में दर्लभ का राज वि.सं. 1066 से 1078 तक ही रहा था। तब राजा दुर्लभ की राजसभा में वि. सं. 1080 में जिनेश्वरसूरिजी का शास्त्रार्थ कैसे हुआ होगा? ( इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /082 )