Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran
View full book text ________________ भार्या संपूरी पुत्र सा. उदयराज भा. टीलाभ्यां श्रीशीतलनाथबिंब कारितं वृद्धभ्रातृ सा. डालण पुण्यार्थं प्रतिष्ठितं श्रीलघुखरतरगच्छे श्री जिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः। वैशाख सु. 10 2. बृहद् खरतरगच्छ के लेख : (1460) सुविधिनाथ: स्वस्ति श्री।। संवत् 1712 वर्षे फाल्गुण वदि 8 , गुरौ लोढागोत्रे सं. वीरधवल भार्यया पूनमदेवी नाम्न्या श्रीसुविधिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं च ..... श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसुरिभिः ।।श्रीरस्तु।।। (1845) सुमतिनाथ-मूलनायकः सं. 1879 फागण वदि 12 तिथौ शनिवासरे ओशवंशीय नीनाकेन श्रीसुमतिजिनबिंब कारितं, प्रतिष्ठितं बृहत्खरतरगच्छीय भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरिभि ............ शुभं भवतु 3. आद्यपक्षीय गच्छ के लेख: (1463) पार्श्वनाथ:___ संवत् 1714 वैशाख सुदि पंचम्यां महाराजाधिराज महाराजा श्रीजसवंतसिंहजी विजयिराज्ये भं. ताराचंद भार्यया कल्याणदेव्या श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं / श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीआद्यपक्षीय भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरिभिः / / शुभं भूयात्। (1464) पार्श्वनाथः संवत् 1714 वैशाख सुदि पंचम्यां महाराजाधिराज महाराजा श्रीजसवंतसिंहजी विजयिराज्ये भं. ताराचंद भार्यया कल्याणदेव्या श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं / श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीआद्यपक्षीय भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरिभिः / / शुभं भूयात्। 4) आचार्यगच्छीय के लेख: (1970) कुन्थुनाथः 1. / / संवत् 1897 वर्षे शाके 1762 प्रवर्त्तमाने मासे वैशाखमासे शुक्लपक्षे तिथौ षष्ठ्यां गुरुवारे विक्रमपु इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /141
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