Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran
View full book text ________________ 2. र वास्तव्ये ओसवंशे गोलछा गोत्रीय साहजी श्रीमुलतानचंदजी तद्भार्या तीजां तत्पुत्र मिलापचंद्र श्रीकुंथुनाथबिं3. बं कारितं च तथा बृहत्खरतरआचार्यगच्छीय भट्टारक श्रीजिनचंद्रसूरि पदस्थित श्रीजिनोदयसूरिभिः प्रतिष्ठितं। 4. श्रीरतनसिंघजी बिजै राज्ये कारक पूजकानां सदा वृद्धिं भूयात् / / श्री (1848) शालालेखः श्रीगणेशायनमः।। संवत् 1881 रा वर्षे शाके 1746 प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे मिगसरमासे कृष्ण पक्षे त्रयोदशी तिथौ गुरुवारे महाराजाधिराजा महाराजा जी श्रीगजसिंहजी विजयराज्ये बृहत्खरतर आचारगच्छे जंगम युगप्रधान भट्टारक श्रीजिनचंद्रसूरिजी तत् बृहत्शिष्य पं।प्र। श्रीअभयसोमगणि संवत् 1878 रा मिति माहसुदि 12 दिने स्वर्ग प्राप्तः तदोपरि पं. / ज्ञानकलशेन इदं शाला कारापिता संवत् 1881 रा मिति मिगसिर वदि 13 दिने भट्टारक श्रीजिनउदयसूरिजी री आज्ञातः पं. ।।प्र.। लब्धिधीरेण प्रतिष्ठिते श्रीसंघेन हर्षमहोत्सवो कृतः सीलावटो गजधर अलीलखानी शाला कृता।। यावत् जम्बुद्वीपे यावत् नक्षत्र मण्डिपो मेरु यावत् चंद्रादित्यो तावत् शाला स्थिरी भवतु 1 लिपिकृतारियं। पं। हर्षरंग मुनिभिः।। शुभंभवतु।। श्रीकल्याण-मस्तु।। ।।श्री।। 5. बेगड़ गच्छ के लेखः (1514) बेगड़गच्छ-उपाश्रयलेखः 1) ।।ॐ।।ॐ नमः श्रीपार्श्वनाथाय नमः।। श्रीवागडेशाय नमः 2) / / संवत् 1781 वर्षे शाके 1746 प्रवर्त्तमाने महामांगल्यप्रदो 3) मासोत्तम चैत्रमासे लीलविलासे शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां 4) गुरुवारे उत्तराफाल्गुनीनक्षत्रे वृद्धिनामयोगे एवं शुभदि5) ने श्रीजैसलमेरूगढ़ महादुर्गे राउल श्री 8 अषैसिंहजी विजैराज्ये 6) श्रीखरतरवेगड़गच्छे भट्टारक श्रीजिनेश्वरसूरिसंताने भट्टारक 7) श्रीजिनगुणप्रभसूरिपट्टे भ. श्रीजिनेशरसूरि तत्पट्टे भट्टारक 8) जिनचंद्रसूरि पट्टे भट्टारक श्रीजिनसमुद्रसूरि तत्पट्टालंकारहार सा. 9. भट्टारक श्री 107 श्रीजिनसुंदरसूरि तत्पट्टे युगप्रधान भट्टारक श्री 10.श्रीजिनउदयसूरि विजयराज्ये प्राज्यसम्राज्ये।। श्रीरस्तुः।।श्री।। / इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /142 )
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